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बलूचिस्तान की PM-in-Exile डॉ. नायला कादरी ने पीएम मोदी से मांगी मदद, CPEC को बताया "मौत की सजा"

बलूचिस्तान की PM-in-Exile डॉ. नायला कादरी ने पीएम मोदी से मांगी मदद, CPEC को 'मौत की सजा' बताया। जानें पूरी खबर।
08:21 PM Mar 17, 2025 IST | Girijansh Gopalan

बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रही डॉ. नायला कादरी बलूच ने 21 मार्च 2022 को यूरोप में निर्वासित बलूच सरकार की स्थापना की। वह खुद इस सरकार की प्रधानमंत्री हैं। हालांकि, सुरक्षा कारणों से सरकार के ठिकाने का खुलासा नहीं किया गया है। वर्तमान में वह कनाडा में रहती हैं और दुनिया भर में बलूचिस्तान की आजादी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही हैं।

बलूचिस्तान की आजादी का सपना

डॉ. नायला कादरी का मानना है कि बलूचिस्तान कभी एक आजाद देश था, लेकिन अब वह पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। उन्होंने पाकिस्तान सरकार पर मानवाधिकार हनन, संसाधनों की लूट और बलूच समुदाय के नरसंहार का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत सहित कई देशों से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए समर्थन मांगा है। खासतौर पर, उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह संयुक्त राष्ट्र (UN) में बलूचिस्तान के मुद्दे को उठाएं।

बलूचिस्तान में हालात बेहद खराब

डॉ. नायला का कहना है कि बलूचिस्तान में हालात बेहद खराब हैं। पाकिस्तानी सेना बलूच लोगों के घरों को जलाकर खाक कर रही है, उनके खेत-खलिहानों को बर्बाद कर रही है और उनके युवाओं को अगवा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगवा किए गए युवाओं के अंग जैसे आंख, दिल, लिवर और किडनी बेचे जा रहे हैं। उन्होंने इसे नस्ली सफाया करार दिया है।

CPEC को बताया "मौत की सजा"

नायला कादरी बलूच ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को बलूचिस्तान के लिए "मौत की सजा" करार दिया है। उनका कहना है कि यह कोई आर्थिक परियोजना नहीं, बल्कि सैन्य योजना है, जिसके तहत बलूचों को उनकी ही जमीन से बेदखल कर चीन और पाकिस्तान के लोगों को बसाया जा रहा है। वह साफ कहती हैं कि कोई भी देश बलूचिस्तान के बंदरगाहों को बेचने का हक नहीं रखता।

बलूचिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी नायला कादरी ने संघर्ष किया है। उन्होंने बलूच समाज की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने पर भी जोर दिया है। वह मानती हैं कि यदि बलूच भाषा, कला और परंपराओं को संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से कट जाएंगी। उन्होंने बलूच महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में समानता दिलाने के लिए भी अभियान चलाया है।

भारत से विशेष लगाव

भारत से नायला कादरी बलूच का विशेष लगाव है। उन्होंने 2016, 2023 और 2024 में भारत का दौरा किया। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र किया था, जिसके बाद उन्होंने भारत का दौरा किया था। उनका मानना है कि अगर भारत बलूचिस्तान का समर्थन करता है, तो भविष्य में स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत के साथ खड़ा होगा। हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक उनकी निर्वासित सरकार को मान्यता नहीं दी है।

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