नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

4 दिसंबर 1971: पाकिस्तान की 'गाज़ी' पनडुब्बी की कहानी, जिसके समंदर में डूबते ही जन्मा बांग्लादेश

4 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की 'गाज़ी' पनडुब्बी समंदर में डूब गई, जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ। जानिए इस ऐतिहासिक घटना के बारे में सबकुछ
01:02 PM Dec 04, 2024 IST | Vibhav Shukla
1971 की भारत-पाकिस्तान जंग की शुरुआत एक ऐसी घटना से हुई, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूल सकता। 4 दिसंबर 1971 का दिन पाकिस्तान के लिए बहुत ही भारी था, क्योंकि इसी दिन भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया। यह वही तारीख थी, जब पाकिस्तान की सबसे ताकतवर पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी समंदर में डूब गई। इस घटना ने पाकिस्तान को एक ऐसा झटका दिया, जिसकी उसे उम्मीद भी नहीं थी।  पीएनएस गाज़ी पाकिस्तान की सबसे आधुनिक और ताकतवर पनडुब्बी थी, जिसे भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को तबाह करने के लिए भेजा गया था। लेकिन भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की इस योजना को न केवल नाकाम किया, बल्कि गाज़ी को समुद्र की गहराई में समेट दिया। और यहीं से बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ मिला।

गाज़ी की तबाही के साथ ही बांग्लादेश की आज़ादी की दिशा और भी मजबूत हो गई, और पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे संघर्ष ने बांग्लादेश के रूप में एक नए देश को दुनिया के नक्शे पर उभारा। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा आघात साबित हुई, क्योंकि इसके बाद बांग्लादेश ने स्वतंत्रता हासिल की और पाकिस्तान के टूटने की प्रक्रिया तेज हो गई। 4 दिसंबर 1971 की यह घटना सिर्फ सैन्य दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं थी, बल्कि इसने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक हालात को भी बदलकर रख दिया।

पाकिस्तान का ‘गाज़ी’ पनडुब्बी के जरिए विक्रांत को निशाना बनाने का प्लान

1971 में पाकिस्तान को ये समझ में आ गया था कि अगर उसे भारत के खिलाफ जीत हासिल करनी है तो उसकी नौसेना को तगड़ा झटका देना होगा। इसका सबसे आसान तरीका था भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को नष्ट करना। INS विक्रांत भारतीय नौसेना का सबसे ताकतवर जहाज था, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा था। इस मिशन को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान ने अपनी सबसे ताकतवर पनडुब्बी, PNS गाज़ी को चुना।

8 नवंबर 1971 को पाकिस्तान ने PNS गाज़ी के कप्तान जफर मोहम्मद खान को आदेश दिया कि वह INS विक्रांत को समंदर में डुबोकर भारतीय नौसेना को नष्ट कर दे। पनडुब्बी को बंगाल की खाड़ी में भेजा गया, और उस समय भारत के लिए यह खतरे की घंटी बन गई थी।

भारत ने पाकिस्तान की साजिश को किया नाकाम

लेकिन भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की इस साजिश का पहले ही पता लग गया था। भारत के पास पाकिस्तान के जासूसों से मिली जानकारी थी, जिनकी मदद से भारतीय नौसेना ने एक बहुत ही स्मार्ट चाल चली। पाकिस्तान के जासूस INS विक्रांत की लोकेशन भारतीय तटों पर भेज रहे थे, लेकिन भारतीय नौसेना ने जानबूझकर ये जानकारी फैला दी कि विक्रांत विशाखापट्टनम में है, जबकि असल में वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास था।

इसके बाद भारतीय नौसेना ने एक और चाल चली। उसने INS राजपूत को विशाखापट्टनम से करीब 160 किलोमीटर दूर ले जाकर भारी वायरलेस ट्रैफिक उत्पन्न किया। इससे पाकिस्तान को ऐसा लगा कि यह असल में INS विक्रांत है। इस जाल में फंसकर पाकिस्तान को विश्वास हो गया कि विक्रांत यहीं कहीं है, जबकि वह असल में गलत जगह पर था।

4 दिसंबर 1971 को PNS गाज़ी का समंदर में डूबना

अब, पाकिस्तान को लगने लगा कि INS विक्रांत उनका शिकार होने वाला है। 1 दिसंबर 1971 को PNS गाज़ी विशाखापट्टनम के पास आकर रुक गई और विक्रांत का इंतजार करने लगी। लेकिन 3 दिसंबर की शाम को पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि गाज़ी की पनडुब्बी भी भारत पर हमला करने के लिए तैयार होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। 3 और 4 दिसंबर की रात, भारतीय मछुआरों ने समुद्र में एक जबरदस्त धमाके की आवाज सुनी। ये धमाका पाकिस्तान की PNS गाज़ी में हुआ था।

समंदर में बिखरे हुए गाज़ी के कुछ टुकड़े भारतीय मछुआरों ने निकाले। भारत ने 9 दिसंबर को यह घोषणा की कि PNS गाज़ी समंदर में डूब चुकी है। इस धमाके में 11 अधिकारी और 82 नाविकों समेत 93 लोग मारे गए थे।

PNS गाज़ी में धमाके की वजह

PNS गाज़ी के डूबने को लेकर कई तरह की चर्चाएं हुईं। सबसे प्रमुख कारण यह बताया गया कि पनडुब्बी में अत्यधिक हाइड्रोजन गैस जमा हो गई थी, जिससे एक जबरदस्त धमाका हुआ। जब भारतीय अधिकारियों ने गाज़ी के अवशेषों की जांच की तो पाया कि पनडुब्बी का ढांचा बीच से टूटा था। आमतौर पर जब कोई विस्फोट होता है, तो पनडुब्बी का सामने वाला हिस्सा ज्यादा प्रभावित होता है, लेकिन यहां उल्टा हुआ। इससे यह साफ था कि पनडुब्बी में गैस के कारण धमाका हुआ था।

 पाकिस्तान की हार के बाद बांग्लादेश का जन्म 

पीएनएस गाज़ी के डूबने के एक हफ्ते बाद, 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना और बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों ने मिलकर ढाका पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय जनरल के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध की जीत के साथ ही पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता हासिल की।

यह युद्ध भारत के लिए एक बड़ी जीत थी, और इसलिए हर साल 16 दिसंबर को भारत विजय दिवस के रूप में मनाता है। वहीं, 4 दिसंबर को जब भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोला था, उसे नेवी डे के रूप में मनाया जाता है।

 

Tags :
1971 Bangladesh independence1971 India Pakistan War4 December 1971 eventBangladesh independence storyBangladesh liberation warBirth of Bangladesh 1971December 1971 military historyIndian Navy victory 1971Indo-Pakistani war 1971INS Vikrant 1971 attackNavy Day India 1971Pakistan navy defeat 1971PNS Ghazi sinkingPNS Ghazi submarineSubmarine PNS Ghazi sinking cause

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article