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पहलगाम हमले के बाद भारत ने तोड़ी सिंधु जल संधि, अब पाकिस्तान के पास क्या रास्ते बचे?

पहलगाम हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित कर दी। जानें पाकिस्तान अब कहां अपील कर सकता है और संधि तोड़ने के नियम क्या हैं।
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। भारत का साफ कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खुला समर्थन देता रहेगा, ये संधि दोबारा शुरू नहीं होगी। ये फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इसका पंजाब और सिंध प्रांत पानी और खेती के लिए इसी संधि पर निर्भर है। साथ ही, पाकिस्तान की बिजली परियोजनाएं भी लटक सकती हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत इस तरह की बड़ी संधि को तोड़ सकता है? पाकिस्तान इस फैसले के खिलाफ कहां जा सकता है? और किसी अंतरराष्ट्रीय संधि को तोड़ने के नियम क्या हैं? आइए, इन सवालों का जवाब समझते हैं।

युद्धों में भी नहीं टूटी थी संधि

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि को दुनिया में दो देशों के बीच सबसे कामयाब समझौतों में गिना जाता है। कई देश इसकी मिसाल देते हैं। मजेदार बात ये है कि पाकिस्तान ने भारत पर तीन बार सीधा हमला किया, जंगें हुईं, लेकिन भारत ने कभी इस संधि को नहीं तोड़ा। पाकिस्तान को उसका पानी हमेशा मिलता रहा। दुनिया भर में भारत की तारीफ होती थी कि उसने जंग के बावजूद इंसानियत का फर्ज निभाया। लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने पहली बार इस संधि को निलंबित कर दिया है।

क्या इस संधि को तोड़ा जा सकता है?

सिंधु जल संधि में कुछ नियम तय किए गए थे। इनके मुताबिक, न तो भारत और न ही पाकिस्तान अपने दम पर इस संधि को खत्म कर सकता है। अगर संधि को तोड़ना हो या उसमें बदलाव करना हो, तो दोनों देशों की सहमति जरूरी है। ये नियम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने थे। लेकिन अब भारत ने पहली बार एकतरफा फैसला लेकर इस संधि को रोक दिया है। पाकिस्तान की सरकार इस कदम का जमकर विरोध कर रही है और इसे गलत बता रही है।

पाकिस्तान अब क्या कर सकता है?

ये संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, और विश्व बैंक ही इसकी गारंटी लेता है। यही वजह है कि जंगों के बावजूद भारत ने इसे पहले कभी नहीं रोका। अब संधि के निलंबन के बाद पाकिस्तान विश्व बैंक के पास जा सकता है, क्योंकि संधि की देखरेख का जिम्मा उसी का है। इसके अलावा, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है, ताकि संधि को दोबारा शुरू करवाया जा सके।

कोई संधि तोड़ने के नियम क्या हैं?

भारत ने सिर्फ पाकिस्तान के साथ ही नहीं, बल्कि कई पड़ोसी देशों के साथ जल संधियां की हैं। दुनिया भर में देश ऐसी संधियों पर साइन करते हैं, जिन्हें हर हाल में निभाने की बात होती है। लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट का कहना है कि अगर दो देशों के बीच हालात बदल जाएं, तो संधि को रद्द किया जा सकता है। जहां तक सिंधु जल संधि की बात है, भारत 1969 के वियना कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 का हवाला दे सकता है। इसके तहत भारत ये दावा कर सकता है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों का समर्थन करके संधि की भावना का उल्लंघन कर रहा है, और इसलिए भारत इस संधि से पीछे हट सकता है।

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