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DGMO मीटिंग में भारत-पाकिस्तान ने मिलकर क्या फैसले लिए… क्या अब बॉर्डर पर बंदूकें शांत रहेंगी या फिर सब दिखावा है?

भारत-पाकिस्तान सैन्य अधिकारियों की 45 मिनट की ऐतिहासिक बातचीत, सीमा पर गोलीबारी रोकने और सैनिक घटाने पर बनी सहमति, शांति की नई उम्मीद।
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जब दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों ने हॉटलाइन पर बात की, तो सीमा पर गोलियों की गूंज के बजाय शांति का संदेश गूंजा! सोमवार शाम 5 बजे हुई ऐतिहासिक वार्ता में भारत और पाकिस्तान के DGMO ने न सिर्फ "एक भी गोली न चलाने" पर सहमति जताई, बल्कि सीमा से सैनिकों की संख्या कम करने पर भी सहमति बनी। यह वार्ता ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तानी ड्रोन की घुसपैठ की कोशिशों ने तनाव को बढ़ाने की कोशिश की थी। आइए जानते हैं कि इस महत्वपूर्ण बातचीत में क्या-क्या तय हुआ और क्या होगा भविष्य का रास्ता...

45 मिनट की वार्ता में क्या हुआ तय?

भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) के बीच हुई 45 मिनट की वार्ता में तीन प्रमुख बिंदुओं पर सहमति बनी। पहला और सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था - "एक भी गोली नहीं चलेगी"। दोनों पक्षों ने सीमा पर गोलीबारी पूरी तरह बंद करने का संकल्प लिया। दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय था फॉरवर्ड पोस्ट और बॉर्डर एरिया से सैनिकों की संख्या कम करने पर विचार करना। तीसरा बिंदु था किसी भी प्रकार की आक्रामक सैन्य गतिविधि नहीं की जाएगी। ये समझौते ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

ड्रोन घुसपैठ के बावजूद क्यों हुई वार्ता?

वार्ता से ठीक पहले की घटनाएं इस समझौते को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। जम्मू के सांबा और पंजाब के जालंधर में पाकिस्तानी ड्रोन दिखाई दिए थे, जिन्हें भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने मार गिराया। इसके बाद कठुआ, सांबा, राजौरी और जम्मू में एहतियाती ब्लैकआउट लागू किया गया। इन सभी प्रोवोकेशन के बावजूद भारत ने शांति पहल जारी रखी, जो उसकी परिपक्व विदेश नीति को दर्शाता है। पाकिस्तान की ओर से लगातार उकसावे की कोशिशों के बाद भी भारत ने संयम बरतते हुए वार्ता का रास्ता चुना।

ऑपरेशन सिंदूर से सीजफायर तक का सफर

इस वार्ता की पृष्ठभूमि में भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता महत्वपूर्ण है। 7 मई को भारत ने PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कैंप शामिल थे। 10 मई को पाकिस्तानी DGMO ने स्वयं सीजफायर का अनुरोध किया था।

Indian army DGMO Rajiv Ghai

यह चार दिनों के भीतर दूसरी बार DGMO स्तर पर हुई वार्ता थी, जो दर्शाता है कि भारत के दबाव में पाकिस्तान को बातचीत के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक कौशल ने पाकिस्तान को वार्ता की मेज पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

क्या सच में शांति होगी स्थापित?

हालांकि समझौता हो चुका है, लेकिन कुछ चिंताएं अभी बरकरार हैं। पाकिस्तान की ओर से पिछले 48 घंटों में 3 बार ड्रोन घुसपैठ की कोशिश हुई है। सीजफायर के बावजूद पाकिस्तानी सेना द्वारा सीमा उल्लंघन की रिपोर्ट्स मिल रही हैं। सबसे बड़ी चिंता आतंकी संगठनों द्वारा स्थिति का फायदा उठाने की है। भारतीय सुरक्षा बल पूरी सतर्कता बनाए हुए हैं और किसी भी प्रोवोकेशन का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं। सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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