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Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग ही क्यों लगाया जाता है..? जानिए इसके पीछे की कहानी

Sharad Purnima 2023: हिन्दू धर्म में हर दिन का अपने आप में एक खास महत्व होता है। होली-दिवाली जैसे कई बड़े त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं। इनके अलावा भी कई ऐसे खास पर्व होते हैं, जिनसे जुड़ी किस्से-कहानी बहुत...
03:14 PM Oct 26, 2023 IST | surya soni

Sharad Purnima 2023: हिन्दू धर्म में हर दिन का अपने आप में एक खास महत्व होता है। होली-दिवाली जैसे कई बड़े त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं। इनके अलावा भी कई ऐसे खास पर्व होते हैं, जिनसे जुड़ी किस्से-कहानी बहुत ही रोचक होती है और साथ में इनका महत्व भी बड़ा खास (Sharad Purnima 2023) होता है। आज हम आपको बताएंगे शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग ही क्यों लगाया जाता है..? हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ महारास किया था।

इस साल शरद पूर्णिमा कब है..?

बता दें शरद पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ का बड़ा महत्व माना गया है। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह दिन 28 अक्टूबर यानी शनिवार को पड़ रही है। इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन बागवान को प्रसाद स्वरुप खीर का भोग लगाया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का प्रचलन काफी सदियों पुराना बताया जाता है। इस दिन खीर की तुलना अमृत से की जाती है।

क्यों लगाया जाता है खीर का भोग:

हर त्यौहार पर सनातनी लोग अलग-अलग भोजन या भोग भगवान को प्रसाद स्वरुप भेंट करते है। लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग ही लगाया जाता है। इस दिन खीर को अमृत के स्वरुप माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर को छत पर चांद की रौशनी में रखा जाता है। माना जाता है शरद पूर्णिमा के दिन खीर पर जब चाँद की रौशनी पड़ती है तो वो अमृत में बदल जाती है। इस खीर के सेवन से कई रोगों का विनाश होता है।

शरद पूर्णिमा से जुड़ी कहानी:

एक पौराणिक कथा के अनुसार ''एक साहूकार था उसके दो बेटिया थी। वह दोनों पूर्णिमा का व्रत करती थी। बड़ी बेटी व्रत पूरा करती थी ओर छोटी बेटी अधूरा करती थी। साहूकार ने दोनों बेटियो का धूमधाम से विवाह किया। कुछ समय पश्चात दोनों गर्भवती हुई और दोनों ने बच्चो को जन्म दिया परन्तु छोटी बेटी के संतान होते ही मर गई।

इसके बाद भी छोटी बेटी के जब भी संतान होती , होते ही मर जाती थी। छोटी बेटी संतान की मृत्यु से बहुत दुखी हो गयी उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो पंडितो ने बताया की तुम अधूरा व्रत करती हो जिसके कारण तुम्हारी संतान नहीं बचती हैं। अगर तुम पूर्णिमा का पूरा व्रत विधि पूर्वक करोगी तो तुम्हारी संतान जीवित रहेगी।

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