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Miyawaki Technique in Maha Kumbh: महाकुंभ से पहले प्रयागराज हुआ हरा भरा, जानिये मियावाकी तकनीक के बारे में

प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में शहर में 10 से अधिक स्थानों पर 55,800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पेड़ लगाए हैं।
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Miyawaki Technique in Maha Kumbh

Miyawaki Technique in Maha Kumbh: प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। महाकुंभ 2025 पौष पूर्णिमा के दिन यानी 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। महाकुंभ के लिए प्रयागराज (Miyawaki Technique in Maha Kumbh) का पूरी तरह से कायाकल्प किया गया है। केवल मेला क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे प्रयागराज को सजाया गया है।

प्रयागराज को बनाया गया है हरा-भरा

महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) से पहले प्रयागराज को हरा-भरा (Green Prayagraj) भी बनाया गया है। जानकारी के अनुसार, महाकुंभ 2025 के लिए शहर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध हवा और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए पूरे प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर घने जंगल विकसित किए गए हैं।

प्रयागराज नगर निगम (Prayagraj Municipal Corporation Commissioner) ने पिछले दो वर्षों में कई ऑक्सीजन बैंक स्थापित करने के लिए जापानी मियावाकी तकनीक का उपयोग किया है, जो अब हरे-भरे जंगलों में बदल गए हैं। इन प्रयासों ने न केवल हरियाली को बढ़ाया है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए वायु गुणवत्ता में सुधार करने में भी योगदान दिया है।

Miyawaki Technique in Maha Kumbh: महाकुंभ से पहले प्रयागराज हुआ हरा भरा, जानिये मियावाकी तकनीक के बारे में  मियावाकी तकनीक (Miyawaki Technique) का उपयोग करते हुए प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में शहर में 10 से अधिक स्थानों पर 55,800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पेड़ लगाए हैं। 63 प्रजातियों के लगभग 1.2 लाख पेड़ों के साथ सबसे बड़ा वृक्षारोपण नैनी औद्योगिक क्षेत्र में किया गया है। वहीं शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड की सफाई के बाद 27 विभिन्न प्रजातियों के 27,000 पेड़ बसवार में लगाए गए हैं।

यह परियोजना न केवल औद्योगिक कचरे से छुटकारा दिलाने में मदद कर रही है बल्कि धूल, गंदगी और दुर्गंध को भी कम कर रही है। इससे शहर की वायु गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है। मियावाकी जंगलों के कई फायदे हैं, जैसे वायु और जल प्रदूषण को कम करना, मिट्टी के कटाव को रोकना और जैव विविधता को बढ़ाना।

प्रयागराज में लगे हैं कौन-कौन से पेड़?

प्रयागराज (Maha Kumbh in Prayagraj) में में फल देने वाले पेड़ों से लेकर औषधीय और सजावटी पौधों तक विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को लगाया गया है। परियोजना के तहत लगाई गई प्रमुख प्रजातियों में आम, महुआ, नीम, पीपल, इमली, अर्जुन, सागौन, तुलसी, आंवला और बेर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, हिबिस्कस, कदंब, गुलमोहर, जंगली जलेबी, बोगनविलिया और ब्राह्मी जैसे सजावटी और औषधीय पौधों को शामिल किया गया है। अन्य प्रजातियों में शीशम, बांस, कनेर (लाल और पीला), टेकोमा, कचनार, महोगनी, नींबू और सहजन शामिल हैं।

Miyawaki Technique in Maha Kumbh: महाकुंभ से पहले प्रयागराज हुआ हरा भरा, जानिये मियावाकी तकनीक के बारे में  क्या है मियावाकी तकनीक?

1970 के दशक में प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित मियावाकी तकनीक (What is Miyawaki Technique) सीमित स्थानों में घने जंगल बनाने की एक क्रांतिकारी विधि है। इसे अक्सर 'पॉट प्लांटेशन विधि' के रूप में जाना जाता है, इसमें पेड़ों और झाड़ियों को उनके विकास में तेजी लाने के लिए एक-दूसरे के करीब लगाना शामिल है। इस तकनीक से पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं, जिससे यह शहरी क्षेत्रों के लिए एक व्यावहारिक समाधान बन जाता है।

यह विधि घनी रूप से रोपित देशी प्रजातियों के मिश्रण का उपयोग करके प्राकृतिक वनों की नकल करती है। यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है, जैव विविधता को बढ़ाता है और वन विकास को गति देता है। मियावाकी तकनीक का उपयोग करके लगाए गए पेड़ पारंपरिक जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं, तेजी से बढ़ते हैं और समृद्ध जैव विविधता का समर्थन करते हैं।

Miyawaki Technique in Maha Kumbh: महाकुंभ से पहले प्रयागराज हुआ हरा भरा, जानिये मियावाकी तकनीक के बारे में  शहरों के लिए अधिक कारगर है यह तकनीक

शहरी परिवेश में इस तकनीक ने कई जगहों पर प्रदूषित, बंजर भूमि को हरित पारिस्थितिकी तंत्र में बदल दिया है। इसने औद्योगिक कचरे का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया है, धूल और दुर्गंध को कम किया है और वायु और जल प्रदूषण पर अंकुश लगाया है। इसके अतिरिक्त, यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देता है, जिससे यह पर्यावरण बहाली के लिए एक प्रभावी उपकरण बन जाता है।

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