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Loksabha Election Banswara: त्रिकोणीय संघर्ष में क्या प्रधानमंत्री मोदी की रैली से मिलेगा भाजपा को सियासी फायदा ? 22 अप्रैल को बांसवाड़ा आएंगे प्रधानमंत्री, वागड़ में चढ़ने लगा सियासी पारा

Loksabha Election Banswara: बांसवाड़ा। लोकसभा चुनाव के अन्तर्गत राजस्थान में दूसरे चरण में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रेल को वोट डाले जाएंगे। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही वागड़ अंचल में सियासी पारा चढ़ने लगा है। वहीं...
09:20 PM Apr 12, 2024 IST | Chandramauli

Loksabha Election Banswara: बांसवाड़ा। लोकसभा चुनाव के अन्तर्गत राजस्थान में दूसरे चरण में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रेल को वोट डाले जाएंगे। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही वागड़ अंचल में सियासी पारा चढ़ने लगा है। वहीं 22 अप्रेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांसवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी महेंद्रजीतसिंह मालवीया के समर्थन में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष में प्रधानमंत्री की रैली की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

 

कांग्रेस से भाजपा में आए मालवीय को मिल रही कड़ी टक्कर

 

बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा ने मालवीया को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं भारत आदिवासी पार्टी से चौरासी विधायक राजकुमार रोत पहली बार सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने पहले प्रत्याशी का नामांकन कराया और बाद में भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन का ऐलान किया। इसके विरोध में कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। इससे चुनावी रण त्रिकोणीय और रोचक हो गया है।

 

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क्या मोदी की रैली से मजबूत होगी भाजपा

 

22 अप्रेल को बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी रैली होगी। इसमें मोदी बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के साथ ही वागड़ की सीमाओं से लगती उदयपुर लोकसभा सीट के मतदाताओं को भी साधेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव में इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री की रैली ही सबसे बड़ी होगी। पार्टी इसके लिए व्यापक स्तर पर जुड़ी हुई है। उनके अनुसार कांग्रेस अपने सिंबल पर उतरे और पार्टी से निष्कासित प्रत्याशी डामोर को छोड़कर भारत आदिवासी पार्टी को समर्थन कर रही है। वहीं भारत आदिवासी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन नहीं लेने का निर्णय किया है। ऐसे में कांग्रेस से किसी बड़े नेता के आने संभावनाएं कम ही हैं। दूसरी ओर भारत आदिवासी पार्टी बनाने वाले ही चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में प्रचार की डोर बीएपी के स्थानीय नेताओं ने ही थाम रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की रैली का व्यापक असर रहेगा और मोदी राम मंदिर, धारा 370, सीएए के अलावा बीएपी प्रत्याशी के राम को काल्पनिक बताने के बयान को आधार बनाने के साथ अन्य विषयों से वे यहां की चुनावी हवा को बदलने का पूरा प्रयास करेंगे। ऐसे में भाजपा वाले यहां मोदी के आने के बाद भाजपा के अधिक मजबूत होने की उम्मीद कर रहे हैं।

 

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सोशल मीडिया बना प्रचार का मजबूत माध्यम

 

इस लोकसभा चुनाव में प्रचार का सबसे मजबूत माध्यम सोशल मीडिया बना है। कांग्रेस के विधायक अपनी पार्टी के प्रत्याशी को छोड़कर बीएपी के प्रत्याशी का समर्थन जुटाने सोशल मीडिया पर प्रचार कर रहे हैं। बांसवाड़ा विधायक अर्जुनसिंह बामनिया और कुशलगढ़ विधायक रमीला खड़िया की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बीएपी के समर्थन संबंधी फोटो पोस्ट किए गए हैं। इसके अतिरिक्त जहां भाजपा ने सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओं का समर्थन जुटाने के लिए मानो फौज सी उतार दी है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी भी अपने समर्थकों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से संगठन के वजूद को बचाने और आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ने का हवाला देकर चुनाव मैदान में डटे हैं। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि आखिर जनता का आशीर्वाद किसे मिलता है।

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