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Lok Sabha Elections 2024: यूपी की इन 2 सीटों पर बसपा बनी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती!, पढ़ें ये रिपोर्ट...

Lok Sabha Elections 2024: एक समय था जब यूपी में बहुजन समाज पार्टी ने तमाम बड़ी पार्टियों को पछाड़ दिया था। मायावती की पार्टी का यूपी के साथ अन्य राज्यों में भी बहुत प्रभाव देखने को मिलता है। लेकिन अब...
06:31 PM Apr 14, 2024 IST | surya soni

Lok Sabha Elections 2024: एक समय था जब यूपी में बहुजन समाज पार्टी ने तमाम बड़ी पार्टियों को पछाड़ दिया था। मायावती की पार्टी का यूपी के साथ अन्य राज्यों में भी बहुत प्रभाव देखने को मिलता है। लेकिन अब धीरे-धीरे बसपा से उसका वोट बैंक खिसकता जा रहा है। पिछले कई चुनाव परिणाम पर नज़र डाले तो बहुजन समाज पार्टी (Lok Sabha Elections 2024) का प्रदर्शन पहले के मुकाबले इतना प्रभावी नहीं रहा है। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया था। विपक्ष ने काफी प्रयास किया था कि बसपा भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन जाए। लेकिन मायावती अपने फैसले पर ही टिकी रही। इस चुनाव में बसपा यूपी में बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर रही है।

पश्चिमी से लेकर पूर्वी यूपी तक दिखा असर:

बात दें इस बार बसपा कांग्रेस और भाजपा के लिए बराबर चुनौती बनी हुई है। बसपा ने यूपी की ज्यादातर सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर दिए हैं। ऐसे में मायावती की पार्टी के ये प्रत्याशी कई सीटों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती बने हुए हैं तो कई सीटों पर बीजेपी के लिए भी यहीं हाल है। इस बार बसपा ने कई सीटों पर जातीय समीकरण को साधते हुए कैंडिडेट चुनावी मैदान में उतारे हैं। इसका असर पश्चिम से लेकर पूर्वी यूपी तक दिखाई दे रहा हैं।

1. घोसी सीट पर मुकाबला हुआ त्रिकोणीय:

यूपी की घोसी लोकसभा सीट के परिणाम पर सभी की नज़रें टिकी हुई है। क्योंकि इस सीट से NDA ने सुभासपा के अरविंद राजभर को कैंडिडेट बनाया है। बता दें अरविन्द राजभर यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे है। इस सीट पर जातीय समीकरण को साधते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को घोसी से मैदान में उतारा है। बालकृष्ण चौहान को राजनीति का काफी अनुभव है। वो इस सीट से 1999 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। घोसी सीट पर करीब 2 लाख चौहान वोट होने के चलते सुभासपा को यहां से वोट शिफ्ट होने का भय सता रहा है।

2. बस्ती में बसपा ने खेला ब्राह्मण कार्ड:

बता दें जिन सीटों बसपा ने जातीय समीकरण साधते हुए कैंडिडेट उतारे हैं, उनमें से एक बस्ती की सीट भी मानी जा रही हैं। जहां बीजेपी ने इस सीट से दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी पर विश्वास जताया है। तो वहीं ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाने के लिए बसपा ने इस सीट पर दयाशंकर मिश्र को टिकट दिया है। बता दें दयाशंकर मिश्र के पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके है। उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए बसपा से उम्मीदवारी जताई है। ऐसे में राजनीति के जानकार मानते हैं कि कहीं ना कहीं इस सीट पर बसपा बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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