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Yamunotri Temple: अक्षय तृतीया से खुलेगा यमुनोत्री मंदिर का कपाट, जानें दर्शन और आरती का समय

Yamunotri Temple: यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। लगभग 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह गढ़वाल हिमालय में भारत-चीन सीमा के पास सबसे पश्चिमी मंदिर है। मूल रूप से 19वीं शताब्दी में...
11:41 AM May 01, 2024 IST | Preeti Mishra
Yamunotri Temple (Image Credit: Social Media)

Yamunotri Temple: यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। लगभग 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह गढ़वाल हिमालय में भारत-चीन सीमा के पास सबसे पश्चिमी मंदिर है। मूल रूप से 19वीं शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा निर्मित इस मंदिर (Yamunotri Temple) को बाद में प्राकृतिक आपदाओं से हुई क्षति के कारण फिर से बनाया गया था। यही स्थान प्रसिद्ध यमुना नदी का उद्गम स्थल भी है।

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कब खुलेगा इस वर्ष मंदिर, आरती और दर्शन का समय

इस वर्ष यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Temple) के कपाट 10 मई को खुलेंगे। यह शुभ तिथि हिंदू पंचांग के आधार पर चुनी जाती है, जो अक्षय तृतीया के साथ मेल खाती है, जो अत्यधिक महत्व का दिन है। वहीँ यमुनोत्री मंदिर के कपाट 31 अक्टूबर को बंद हो जायेंगे। मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि चार धाम मंदिर समिति द्वारा तय की जाती है। मंदिर में सुबह 6:30 से 07:30 बजे आरती होगी वहीँ शाम की आरती 06:30 से 07:30 बजे के बीच होगी। मंदिर सामान्य दर्शन के लिए सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक अपने दरवाजे खोलेगा। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच दर्शन की अनुमति नहीं होगी।

यमुनोत्री मंदिर का चारधाम यात्रा में महत्व

यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Temple) चार धाम यात्रा में बहुत ही ज्यादा आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यही स्थान यमुना नदी का जन्मस्थान भी है। हिंदू परंपरा के अनुसार, यमुना न केवल एक नदी है बल्कि एक मां है, जो उसकी पूजा करने वालों को जीवन और मोक्ष प्रदान करती है। यमुनोत्री की यात्रा से तीर्थयात्रियों को अपने स्रोत पर ही नदी के पूजन का मौका मिलता है, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा बढ़ जाती है। प्राकृतिक सुंदरता और कठोर इलाकों के बीच, मंदिर (Yamunotri Temple) की स्थापना, उनकी आध्यात्मिक खोजों में उठाए गए चुनौतीपूर्ण रास्तों का प्रतिनिधित्व करती है, जो इसे आत्म-खोज और तपस्या का गहरा अनुभव बनाती है। गर्म झरनों में चावल पकाने और मंदिर में प्रार्थना करने की रस्म यात्रा को पवित्र करती है। इसके अलावा यह रस्म शुद्धिकरण और परमात्मा के साथ घनिष्ठ संबंध का प्रतीक भी है। यमुनोत्री चार धाम यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है।

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यमुनोत्री मंदिर जानें का सबसे अच्छा समय

यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Temple) जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून और फिर सितंबर से अक्टूबर तक है। ये महीने कठोर सर्दियों और मानसून के मौसम के बीच संक्रमण का प्रतीक हैं, जो तीर्थयात्रा के लिए अपेक्षाकृत स्थिर और सुखद मौसम की स्थिति प्रदान करते हैं। मंदिर आम तौर पर अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में खुलता है और यम द्वितीया (दिवाली के दूसरे दिन, नवंबर के आसपास) बंद होता है। भूस्खलन और भारी वर्षा के खतरे के कारण आमतौर पर मानसून के मौसम (जुलाई से अगस्त) में मंदिर की यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस समय भारी बारिश के कारण भूस्खलन आदि हो सकता है जिससे मंदिर (Yamunotri Temple) तक की यात्रा खतरनाक और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

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