ऐसा क्या हुआ की नहीं थमे प्रेमानंद महाराज के आंसू, अपने सालों पुराने राज का किया खुलासा...
Premanand Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु हैं, इनके अनुयायी हर उम्र के लोग है, बड़ो से लेकर बच्चों तक भक्तगणों के मन में प्रेमानंद महाराज के लिए बेहद लगाव और जुड़ाव है। उनकी प्रसिद्धि ना सिर्फ भारत बल्कि देश विदेश के कोने-कोने में है। आपको बता दें, प्रेमानंद महाराज हर तरह के विवादों से दूर हैं, वे मात्र एक ऐसे संत है, जिनका किसी तरह के विवाद से दूर दूर तक को लेनादेना नहीं है, इतना ही नहीं लोग उन्हें इतना प्यार करतें हैं। आजकल सोशल मीडिया पर महाराज के कई वीडियो देखने को मिलते हैं। वे अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं। महाराज ने हाल ही में एक पुराना राज खोला है। जिसको याद करते हुए उनके आँखों के आँसू नहीं थम रहें हैं। उन्होंने कहा कि मैं चुप होना चाहता हूं, मगर नहीं संभल पा रहा, आइये जानतें हैं क्या है ये राज
महाराज ने अपने रहस्य का खुलासा किया
प्रेमानंद महाराज के सत्संग के बाद, भक्त अपनी विभिन्न समस्याओं के बारे में प्रश्न पूछते हैं, जिनका संत बहुत ही सरल तरीके से उत्तर देते हैं। लेकिन, इस बार संत ने अपना एक रहस्य उजागर किया। इस दौरान वे लगातार रो रहे थे, उनके आँसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने कहा कि वे शांत होना चाहते हैं, खुद को संभालना चाहते हैं और लोगों के प्रश्नों का उत्तर देना चाहते हैं, लेकिन वे ऐसा करने में असमर्थ हैं। यह उनकी क्षमता से बाहर है।
भक्ति में लीन हुए महाराज (Premanand Maharaj)
वास्तव में, सत्संग के दौरान प्रेमानंद जी भक्ति में इतने लीन हो गए कि वे रोने लगे। वहाँ उपस्थित लोग संत को रोता देखकर परेशान हो गए। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि नाम का जाप करके देखो। जब जुड़ाव हो जाता है, तो शक्ति काम करती है। अब यह 'मैं' नहीं हूँ, बल्कि उनकी कृपा काम कर रही है।
शरीर तो केवल एक ढाँचा है
उन्होंने (Premanand Maharaj) आगे कहा कि हमारी विद्वता, हमारा ज्ञान, यह सब वही (भगवान) बैठकर बुलवा रहे हैं। यह शरीर केवल देखने में प्रेमानंद का ढाँचा लग रहा है, लेकिन वास्तव में भगवान श्री हरि ही बुलवा रहे हैं। वही यह सब करवा रहे हैं। वे किस समय कैसी स्थिति कर देते हैं, कुछ नहीं पता। अब जैसे इस समय बस ऐसा लग रहा है कि कहीं एकांत में चले जाओ और चुपचाप रोते रहो। क्यों रोते रहो, इसका कोई मतलब है?
बस रोते रहो, रोते रहो
संत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भगवान से मिलने या कुछ और पाने की इच्छा हो रही है। बस मन कर रहा है कि रोते रहो, बस रोते रहो। लेकिन क्यों, यह पता नहीं। हम बार-बार खुद को संभालना चाहते हैं, फिर भी मन फिसलकर उसी स्थिति में चला जाता है। हम बार-बार इस स्थिति से बाहर निकलना चाहते हैं ताकि आपको उत्तर दे सकें, पर फिर उसी में डूब जाते हैं। उत्तर देना मेरे वश की बात नहीं है। यह सब मेरे भगवान ही कर रहे हैं।
एनआरआई ग्रीन कॉलोनी के लोगों ने जताई थी आपत्ति
आपको बता दें, कुछ समाय पहले वृंदावन के एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने संत प्रेमानंद महाराज के प्रति कड़ी आपत्ति जताई थी और उनके विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद यह मामला पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया और हर कोई महिलाओं के इस विरोध का कारण जानना चाह रहा था। तब पता चला कि महिलाओं ने प्रेमानंद महाराज की रात में निकलने वाली पदयात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
महाराज हर रात 2 बजे अपने अनुयायियों के साथ श्रीराधाकेलि कुंज आश्रम तक पैदल यात्रा करते थे, जिसमें हज़ारों भक्त भजन गाते और कीर्तन करते हुए शामिल होते हैं। महिलाओं ने इस पदयात्रा से होने वाले शोर से परेशान होकर यह विरोध शुरू किया था। हालाँकि, बाद में सभी ने क्षमा याचना की और महाराज की पदयात्रा दोबारा शुरू हो गई।
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