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Vinayaka Chaturthi 2025: कल मनाया जाएगा विनायक चतुर्थी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त एवं योग

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र दिन है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है।
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Vinayaka Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक शुभ तिथि है, जो हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर सुख, समृद्धि और विघ्नों के नाश की प्रार्थना करते हैं। व्रत (Vinayaka Chaturthi 2025) रखने वाले भक्त गणेश जी को दूर्वा, मोदक, लाल फूल और घी-गुड़ का भोग अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से, संतान सुख, बुद्धि और व्यापार में सफलता पाने के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त और योग

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 01 अप्रैल को सुबह 05:42 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 02 अप्रैल को देर रात 02:32 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त रात 10 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा।

इस दिन (Vinayaka Chaturthi 2025) प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 09:48 मिनट से हो रहा है। इसके साथ ही भद्रावास का भी निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, भरणी एवं कृत्तिका नक्षत्र का भी संयोग है। भगवान गणेश की पूजा के लिए ये सभी योग बड़े ही श्रेयस्कर होते हैं और साधकों की सभी मनोकामना पूरी होती है।

Vinayaka Chaturthi 2025: कल मनाया जाएगा विनायक चतुर्थी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त एवं योग

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र दिन है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। भक्तगण बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। देवता को दूर्वा घास, मोदक, लाल फूल, घी और गुड़ जैसे विशेष प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो बुद्धि, व्यापार में सफलता और संतान का आशीर्वाद चाहते हैं।

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विनायक चतुर्थी पूजा विधि

शुद्धिकरण और संकल्प: दिन की शुरुआत सुबह स्नान से करें, साफ कपड़े पहनें और विनायक चतुर्थी व्रत को भक्ति के साथ करने का संकल्प लें।
मूर्ति स्थापित करना: गणेश की मूर्ति या चित्र को साफ वेदी पर रखें और जगह को फूलों और रंगोली से सजाएं।
आह्वान और पूजा: घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं, फिर भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए "ओम गं गणपतये नमः" जैसे मंत्रों का जाप करें।
नैवेद्य: मोदक, दूर्वा घास, गुड़, केले और नारियल चढ़ाएं, क्योंकि ये भगवान गणेश को प्रिय हैं।
व्रत कथा पढ़ना: विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें
आरती और प्रार्थना: कपूर या दीये का उपयोग करके भक्तिपूर्वक गणेश आरती करें, इसके बाद बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
व्रत तोड़ना: शाम को चंद्रमा को जल और प्रसाद चढ़ाने के बाद व्रत समाप्त करें।

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