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Vijaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: एकादशी के दिन इस विधि विधान से करें पूजा और पढ़े ये व्रत कथा

Vijaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: हर माह में आने वाली एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024 Vrat Katha) का अपना एक अलग महत्व होता है। लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार सभी एकादशी में विजया एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस...
11:50 AM Mar 05, 2024 IST | Juhi Jha

Vijaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: हर माह में आने वाली एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024 Vrat Katha) का अपना एक अलग महत्व होता है। लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार सभी एकादशी में विजया एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल विजया एकादशी का व्रत कल यानी 06 मार्च 2024, बुधवार के दिन रखा जाएगा। लेकिन इस बार एकादशी तिथि 06 और 07 मार्च दो दिन पड़ रही है।

पंचांग के अनुसार 06 मार्च के दिन गृहस्त लोग और 07 मार्च को सन्यासी और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालु विजया एकादशी का व्रत रख सकते है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन ​विधिवत रूप से भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को पुण्य फल और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। विधिवत रूप से पूजन और व्रत कथा के बिना एकादशी व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए जानते है विजया एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि :-

विजया एकादशी व्रत कथा :-

एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से विजया एकादशी का महत्व पूछा तब भगवान श्रीकृष्ण विजया एकादशी का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि जो भी साधक विजया एकादशी के दिन व्रत करता है और कथा पढ़ता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी की व्रत कथा इस प्रकार है:-

श्रीराम का वकदाल्भ्य मुनि से मिलन:-

एक समय की बात है जब भगवान श्रीराम,लक्ष्मण और सीता के 14 साल का वनवास काटने के दौरान ही रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। श्रीराम और लक्ष्मण माता सीता की खोज में वन-वन भटकने लगे। ऐसे में उनकी मुलाकात हनुमान से हुई। हनुमान ने श्रीराम और सुग्रीव की मुलाकात करवाई ओर सुग्रीव से मित्रता के बाद श्रीराम अपनी वानर सेना लेकर माता सीता की खोज में निकल गए। इसके बाद भगवान श्रीराम ने अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने की योजना बनाई लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी बाधा समुद्र था।

इतनी बड़ी सेना लेकर वह समुद्र को कैसे पार करे। ऐसे में एक दिन लक्ष्मण जी ने श्रीराम से कहा कि वकदाल्भ्य मुनि के पास इस समस्या का जरूर हल होगा। इसके बाद श्रीराम जी वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में गए अपनी पूरी समस्या बताई। तब वकदाल्भ्य मुनि ने उन्हें फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी करने का सुझाव दिया।

कलश की स्थापना व ​पूजा विधि:-

 

उन्होंने कहा कि इस व्रत के लिए दशमी के दिन सोने,चांदी,तांबा और मिट्टी का एक कलश बनाए और उस कलश में जल भरकर उस पर पंच पल्लव रखे और उस कलश के नीचे सात अनाज और जौ ऊपर रखें। इसके बाद भगवान विष्णु करी प्रतिमा स्थापित कर और स्नानादि करने के बाद नैवेद्य,धूप,दीप दिखाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन अपना पूरा दिन कलश के सामने ही बैठे रहे और रात में गीत और भजन कर जागरण करे।

शत्रुओं पर विजय:-

इसके बाद अगले दिन यानी द्वादशी के दिन स्नान कर उस कलश को ब्राह्मण को दे दे। वकदाल्भ्य मुनि ने आगे कहा कि अगर आप यह व्रत अपने सेनापतियों के साथ करेंगे तो आपकी विजय अवश्य होगी। इसके बाद भगवान राम ने विजया एकादशी का व्रत और विधिवत रूप से पूजा किया और इस व्रत के प्रभाव से ही सभी रावण की सेना पर विजय प्रा​प्त किया और रावण का वध कर माता सीता के साथ अयोध्या वापिस लौट आए। पुराणों में विजया एकादशी व्रत को लेकर वर्णन किया गया है जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है,व्रत पढ़ता या सुनता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है साथ ही उसे जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है।

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