नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

Sankashti Chaturthi 2024: इस विधि से करें द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा और पढ़े ये व्रत कथा

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Sankashti Chaturthi 2024: पंचांग के अनुसार 25 फरवरी से फाल्गुन माह ( Sankashti Chaturthi 2024) की शुरुआत होने वाली है। फाल्गुन माह की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी 2024 को रखा जाएगा। इस दिन गणपति...
07:04 PM Feb 22, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Sankashti Chaturthi 2024: पंचांग के अनुसार 25 फरवरी से फाल्गुन माह ( Sankashti Chaturthi 2024) की शुरुआत होने वाली है। फाल्गुन माह की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी 2024 को रखा जाएगा। इस दिन गणपति के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा की जाती है। जिसकी वजह से इस संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गणेश भगवान की पूजा और उपासना करने से परिवार में सुख शांति आती है और साथ ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा कथा के बिना पूरी नहीं मानी जाती। तो आइए जानते है संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजा की विधि और व्रत कथा :-

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा :-

 

 

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात हैे। एक नगर में एक साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। लेकिन दोनों के कोई संतान नहीं थी। एक दिन साहूकार की पत्नी अपनी पड़ोसन के घर गई। उस समय पड़ोसन संकष्टी चतुर्थी की पूजा और कथा पढ़ रही थी। साहूकार की पत्नी ने कथा सुन अगले दिन अपने घर में विधि विधान के साथ पूजा कर उपवास रखा।

भगवान गणेश की कृपा से साहूकार को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा और साहूकार का पुत्र बड़ा हो गया। इसके बाद साहूकार की पत्नी ने फिर से गणेश भगवान से प्रार्थना की कि अगर उसके पुत्र का अच्छे घर में विवाह तय हो जाए तो वह व्रत करेगी और प्रसाद भी चढ़ाएगी। परंतु बेटे का विवाह तय होने के बाद साहूकारनी अपना वादा भूल गई। ना ही उसने व्रत रखा ना ही कोई प्रसाद चढ़ाया। इस बात से नाराज होकर गणेश जी ने शादी के ही दिन साहूकार के बेटे को बंधक बनाकर एक पीपल के पेड़ से बांध दिया।

कुछ समय के बाद वहां से एक कन्या गुजरी उसने पीपल के पेड़ से साहूकार के बेटे की आवाज सुनी तो उसने इस घटना के बारे में अपनी मां को बताया। जब​ साहूकारनी को इस बात का पता चला तो उसने भगवान गणेश से अपनी गलती की क्षमा मांगी और प्रसाद चढ़ाकर उपवास कर अपने बेटे को वापिस मांगने की प्रार्थना करने लगी। साहूकारनी की गलती को क्षमा कर भगवान ने बेटे को वापस लौटा दिया और साहूकार ने बड़े ही धूमधाम के साथ अपने बेटे का विवाह किया। तभी से पूरे नगर में लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा करने लगे।

 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि :-

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कार्यो से निवृत होकर स्नानादि कर साफ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर की साफ सफाई करें। इसके बाद गणेश भगवान की प्रतिमा को एक चौकी उत्तर दिशा में मुह कर स्थापित करें। फिर भगवान को जल अर्पित करने के लिए एक लौटे में तिल और जल मिलाए और फिर गणेश भगवान को चढ़ाएं। दिनभर व्रत का संकल्प कर व्रत रखें और शाम के समय विधि​ विधान के साथ पूजा करें। भगवान की पूजा में अक्षत, मौली, सिंदूर,लाल वस्त्र, दुर्वा आदि चीजों को शामिल करें और लड्डुओं का भोग लगाए और आरती करें। फिर रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत खोले।

यह भी पढ़ें: शुक्रवार के दिन अवश्य करें ये कार्य, जीवन में कभी नहीं होगी धन की कमी

OTT INDIA आपको खबरों से रखेगा अपडेट

OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें।

Tags :
28 february 202428 february Sankashti Chaturthi28 फरवरी संकष्टी चतुर्थीdwijapriya sankashti chaturthidwijapriya sankashti chaturthi kathadwijapriya sankashti chaturthi puja vidhikab hai dwijapriya sankashti chaturthisankashti chaturthiSankashti Chaturthi 2024

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article