Rohini Vrat 2025: इस दिन रखा जाएगा अप्रैल महीने का रोहिणी व्रत, जैन समुदाय में इसका खास है महत्व
Rohini Vrat 2025: रोहिणी व्रत जैन महिलाओं द्वारा समृद्धि, स्वास्थ्य और परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह उस दिन पड़ता है जब आकाश में रोहिणी नक्षत्र प्रमुख होता है। यह व्रत में साल में 12 बार आता है। इस महीने रोहिणी व्रत 3 अप्रैल (Rohini Vrat 2025) को मनाया जाएगा। माना जाता है कि यह पवित्र व्रत परिवार में खुशियां, दीर्घायु और सफलता लाता है। जैन भक्त इस व्रत के दौरान ईश्वरीय आशीर्वाद और आध्यात्मिक उत्थान की कामना के लिए सख्त अनुष्ठानों का पालन करते हैं।
रोहिणी व्रत का जैन धर्म में महत्व
जैन धर्म में रोहिणी व्रत (Rohini Vrat 2025) का बहुत महत्व है। यह बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य को समर्पित है और माना जाता है कि यह जीवन से बाधाओं को दूर करता है। इस व्रत को करने से आंतरिक शांति, समृद्धि और रिश्तों में सामंजस्य आता है। यह व्यक्तियों को धैर्य, आत्म-नियंत्रण और भौतिकवादी इच्छाओं से अलग रहने में भी मदद करता है। जैन शास्त्र इस बात पर जोर देते हैं कि इस व्रत को ईमानदारी से करने से मोक्ष की प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि हो सकती है।
रोहिणी व्रत क्यों मनाया जाता है?
रोहिणी व्रत (Rohini Vrat Significance) मुख्य रूप से जैन महिलाओं द्वारा अपने पति और परिवार की लंबी आयु और खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से शांति, समृद्धि और खुशी मिलती है। जैन मान्यताओं के अनुसार, उपवास पिछले पापों को कम करने और सकारात्मक कर्मों को संचित करने में मदद करता है। इच्छाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त करने के लिए व्रत को अक्सर पांच साल और पांच महीने तक लगातार किया जाता है।
क्यों रखा जाता है हर महीने रोहिणी व्रत?
रोहिणी व्रत हर महीने रोहिणी नक्षत्र के उदय होने पर मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से जैन समुदाय की महिलाएं, स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की भलाई की कामना के लिए मनाती हैं। यह व्रत बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य को समर्पित है, और माना जाता है कि यह बाधाओं को दूर करता है और खुशी लाता है। इस व्रत का पालन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह शांति, धन और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने में मदद करता है। हर महीने रोहिणी व्रत का पालन करने से, भक्तों का मानना है कि वे आध्यात्मिक रूप से प्रगति करते हुए एक पूर्ण और समृद्ध जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
रोहिणी व्रत का पालन
सुबह की रस्में: भक्त जल्दी उठते हैं, पवित्र स्नान करते हैं और साफ सफेद या सादे कपड़े पहनते हैं।
मंदिर जाना: लोग जैन मंदिरों में प्रार्थना करने और भगवान वासुपूज्य से आशीर्वाद लेने जाते हैं।
उपवास: कुछ भक्त बिना भोजन या पानी के पूर्ण उपवास रखते हैं, जबकि अन्य सूर्यास्त से पहले केवल सात्विक भोजन करते हैं।
शास्त्रों का पाठ: जैन ग्रंथों को पढ़ना, जैसे कि नवकार मंत्र और भगवान वासुपूज्य से संबंधित कहानियां सुनना, व्रत का एक अभिन्न अंग हैं।
दान-पुण्य: इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और जरूरी सामान दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
व्रत तोड़ना: आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने पर व्रत तोड़ा जाता है और शाकाहारी भोजन किया जाता है।
यह भी पढ़ें: Maa Kushmanda Puja: मां कुष्मांडा को लगाएं इस चीज का भोग, जानिए संपूर्ण विधि और मंत्र
.