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Pradosh Vrat 2024: कब है साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat 2024: प्रदोष का अर्थ दिन का अवसान और रात्रि का आगमन यानी संध्याकाल होता है। सनातन धर्म में प्रदोष (Pradosh Vrat 2024) का खास महत्व बताया गया है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष...
07:55 PM Jan 04, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat 2024: प्रदोष का अर्थ दिन का अवसान और रात्रि का आगमन यानी संध्याकाल होता है। सनातन धर्म में प्रदोष (Pradosh Vrat 2024) का खास महत्व बताया गया है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है मतलब कि हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं। प्रत्येक प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के दिन के अनुसार होता है और इसके फल की प्राप्ति भी उसी के अनुसार होती है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा पाठ करते है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते है और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण करते है। तो आइए जानते है साल के पहले प्रदोष के बारे में:—

प्रदोष ​व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी के दिन रखा जाएगा। इस दिन मंगलवार है तो जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन आता है उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। वहीं प्रदोष व्रत 8 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा। सा​थ ही इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 41 मिनट से रात 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नानादि करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहने और भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प ले। फिर शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें । अगर संभव हो तो ​आस पास किसी मंदिर में जाए या फिर घर पर ही भगवान की पूजा करे। पूजा के दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाए और सफेद चंदन का लेप लगाए। इसके बाद महादेव को धतूरा, शमी का पत्ता, बेलपत्र, शहद, भस्म, शक्कर और सफेद फूल चढ़ाए और पूजा के समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहे। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ और बुध प्रदोष व्रत की कथा पढ़े व दूसरे लोगों को सुनाए। कथा के बाद भगवान की आरती करे और क्षमा याचना के साथ पूजा समाप्त करें। फिर अगले दिन सुबह स्नानादि करने के बाद भोलेनाथ को जल चढ़ाए व पूजा करके ही व्रत का पारण करे।

प्रदोष व्रत का महत्व

हिंदू शास्त्रों में माना गया है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने जितना पुण्य मिलता है। प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति की दरिद्रता दूर होती है। साथ ही इस व्रत को करने से विवाह में आ रही सारी परे​शानियों से छुटकारा मिल जाता है। वहीं व्यक्ति की शीघ्र शादी हो जाती है। प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर जलाभिषेक करना और बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है और घर में सुख समृद्धि प्रदान करते है।

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