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Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में नहीं करवाना चाहिए मुंडन, पितरों को होता है कष्ट, सबकुछ जानें ज्योतिषाचार्य से

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष 18 सितंबर, 2024 को भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होगा। यह अवधि 3 अक्टूबर, 2024 को मनाई जाने वाली महालया या सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगी। यह पवित्र...
01:53 PM Sep 16, 2024 IST | Preeti Mishra

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष 18 सितंबर, 2024 को भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होगा। यह अवधि 3 अक्टूबर, 2024 को मनाई जाने वाली महालया या सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगी। यह पवित्र समय पूर्वजों के सम्मान के लिए समर्पित होता है। ऐसा देखा गया है कि पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों के सम्मान में अपने सर के बाल और दाढ़ी कटवा देते हैं।

पितृ पक्ष में लोग बनवाते हैं दाढ़ी और बाल

पितृ पक्ष के दौरान, कुछ लोग अपने पूर्वजों के सम्मान में किए जाने वाले अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में अपने बाल काटते हैं। बाल काटना, शेविंग और स्नान जैसी गतिविधियों के साथ, शुद्धि और अहंकार या सांसारिक लगाव के त्याग का प्रतीक है। बाल कटवाकर व्यक्ति दिवंगत आत्माओं के प्रति सम्मान और विनम्रता प्रदर्शित करते हैं। इसे श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान करने से पहले खुद को शुद्ध करने के एक तरीके के रूप में भी देखा जाता है, जो पूर्वजों को प्रार्थना और भोजन देने के लिए आयोजित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस कृत्य से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवित परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद मिलता है।

                                                                                                              ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय
पितृ पक्ष में क्यों नहीं कटवाना चाहिए बाल

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार सिर का मुण्डन पितृ पक्ष के भीतर या तिथि पर नही करना चाहिए। क्यों कि धर्म सिंधु में यह बात कही गयी है कि पितृ पक्ष में सिर के बाल जो भी गिरते है वो पितरों के मुख में जातें है अतः सिर के बाल पितृ पक्ष आरम्भ होने के एक दिन पूर्व बनवा लें या भूल वश नही बनवा पाते है तो पितृ विसर्जन के दिन अपराह्न काल मे बनवा लें। पंडित राकेश पांडेय का मानना है कि ऐसा करने से पितर सन्तुष्ट होते है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे कुल की वृद्धि व यश, कीर्ति लाभ आरोग्यता व मोनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष को अत्यधिक पवित्र समय माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति गहरी श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। यह अवधि हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है क्योंकि लोग इस दौरान अपने दिवंगत प्रियजनों के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दौरान लोग ब्राह्मणों को अपने घर में आमंत्रित करते हैं और उन्हें भोजन, वस्त्र आदि दान करते हैं। इस अवधि के दौरान पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है और यह सलाह दी जाती है कि इन अनुष्ठानों को ईमानदारी से किया जाए। ऐसे जातक जो पितृ दोष से ग्रसित होते हैं उनके लिए यह अवधि पितृ दोष पूजा के माध्यम से राहत पाने का एक आदर्श अवसर है। बिहार में गया इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान को करने के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।

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