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Paush Putrada Ekadashi 2024: कब है पौष पुत्रदा एकादशी,जानें शुभ मुहूर्त

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Paush Putrada Ekadashi 2024: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Paush Putrada Ekadashi 2024) पर पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में एकादशी व्रत का वर्णन करते हुए बताया गया है...
12:43 PM Jan 12, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Paush Putrada Ekadashi 2024: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Paush Putrada Ekadashi 2024) पर पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में एकादशी व्रत का वर्णन करते हुए बताया गया है कि इस एकादशी व्रत से व्यक्ति को हजारों यज्ञों को करने के समान फल की प्राप्ति और समस्त प्रकार के दुखों से छुटकारा मिलता है। वंश की वृद्धि के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान ​विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। आइए जानते है पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त :—

पौष पुत्रदा एकादशी तिथि व शुभ मुहूर्त:-

इस साल पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 21 जनवरी 2024, रविवार को रखा जाएगा। यह एकादशी व्रत साल में दो बार आता है। एक पौष माह में और दूसरा सावन माह में और दोनों ही व्रत संतान प्राप्ति के लिए काफी प्रभावशाली माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 20 जनवरी की रात 06 बजकर 26 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 21 जनवरी रात 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। इस वजह से एकादशी व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा। वहीं व्रत पारण का समय 22 जनवरी की प्रात: 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

एकादशी पूजा विधि:-

अगर आप पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करना चाहते है तो सर्वप्रथम प्रात: उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद विष्णु भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें और पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्य भगवान को जल से अर्घ्य दे और फिर विधि विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करे। पूजा में पीले रंग के फूल,फल और मिष्ठान को शामिल करे।

मान्यता है कि भगवान विष्णु को पीला रंग अतिप्रिय है। इसके बाद भगवान के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर फूल,फल और मिष्ठान चढ़ाए और विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर पुत्र प्राप्ति और सुख समृद्धि की कामना करें। दिन भर व्रत रखे और शाम को सिर्फ फलाहार करें। इस बात का खास ध्यान रखें कि गलती से भी अन्न ग्रहण ना करें। अगले दिन व्रत पारण से पहले स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करें और फिर व्रत खोले।

पौष पुत्रदा एकादशी महत्व:-

साधकों के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। साल में 24 एकादशी आते है और हर एकादशी का अलग नाम व महत्व होता है। पौष माह में आने वाले इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है जो संतान के सुख, शांति, समृद्धि और सभी प्रकार के संकटों से बचाने के लिए किया जाता हैं । इस व्रत को करने से नि:संतान व्यक्ति की संतान पाने की मनोकामना भी पूरी होती जाती है। वहीं इस व्रत को करने से हजारों यज्ञों को करने के समान फल की प्राप्ति होती है।

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