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Papmochini Ekadashi Vrat: आज है पापमोचिनी एकादशी व्रत, जानें पारण का समय

पापमोचनी एकादशी पिछले पापों की क्षमा मांगने और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है।
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Papmochini Ekadashi Vrat

Papmochini Ekadashi Vrat: आज पापमोचिनी एकादशी है। आज के दिन गृहस्थ व्रत रखेंगे। होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी (Papmochini Ekadashi Vrat) के नाम से जाना जाता है। यह हिन्दू वर्ष की आखिरी एकादशी होती है।

इस एकादशी का विशेष महत्व होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह भक्तों को पिछले पापों से मुक्ति दिलाती है। पापमोचिनी एकादशी (Papmochini Ekadashi Vrat) दो शब्दों पाप और मोचन से मिलकर बना है। इसमें "पाप" का अर्थ है पाप और "मोचन" का अर्थ है मुक्ति। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, यह मानते हुए कि यह बहुत शुभ है और यह लोगों को भविष्य में पाप करने से दूर रहने के लिए भी प्रेरित करता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और समस्याओं और बाधाओं को दूर करने के लिए विशिष्ट उपाय करते हैं।

Papmochini Ekadashi Vrat: आज है पापमोचिनी एकादशी व्रत, जानें पारण का समय

व्रत के बाद कब है पारण का समय?

पापमोचनी एकादशी का व्रत आज 25 मार्च को रखा जाएगा। आज केवल गृहस्थ लोग व्रत का पालन करेंगे। वैष्णव जन कल यानी 26 मैच को व्रत रखेंगे। आज व्रत रखने वाले लोग कल यानी 26 मार्च को पारण करेंगे। पारण (Papmochini Ekadashi Parana Time) करने का समय दोपहर 01:39 बजे से शाम 04:06 बजे तक है। पारण दिवस पर हरि वासर समाप्ति क्षण सुबह 09:14 बजे है। हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर के खत्म होने का इंतजार करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।

Papmochini Ekadashi Vrat: आज है पापमोचिनी एकादशी व्रत, जानें पारण का समय

पापमोचनी एकादशी के अनुष्ठान

पापमोचनी एकादशी (Papmochini Ekadashi Rituals) पिछले पापों की क्षमा मांगने और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है। इस दिन लोग भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और कठोर उपवास रखते हैं। तुलसी के पत्तों, धूप, दीप और फलों से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु सहस्रनाम और एकादशी व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है।

रात में जागना, भजन कीर्तन करना और विष्णु का ध्यान करना उपवास के लाभों को बढ़ाता है। जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करने को प्रोत्साहित किया जाता है। द्वादशी तिथि को प्रार्थना करने के बाद व्रत तोड़ा जाता है, जिससे धन्य और समृद्ध जीवन सुनिश्चित होता है।

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