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Kamada Ekadashi 2025: कामदा एकादशी व्रत से मिलता है वाजपेय यज्ञ का फल, पढ़ें संपूर्ण कथा

कामदा एकादशी के दिन व्रत करने वाले लोगों को इस एकादशी की संपूर्ण कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
08:30 AM Apr 07, 2025 IST | Preeti Mishra

Kamada Ekadashi 2025: सभी एकादशियों में कामदा एकादशी का बहुत महत्व होता है। यह एकादशी चैत्र माह की एकादशी (11वें दिन) को मनाया जाता है। यह हिंदू नववर्ष के बाद पहली एकादशी (Kamada Ekadashi 2025) है और भगवान विष्णु को समर्पित है। "कामदा" शब्द का अर्थ है "इच्छाओं की पूर्ति करने वाला।"

भक्तों का मानना ​​है कि इस व्रत (Kamada Ekadashi 2025) को भक्ति के साथ करने से पाप धुल जाते हैं और इच्छाएं पूरी होती हैं, खासकर प्रेम और रिश्तों से जुड़ी इच्छाएं। एक किंवदंती के अनुसार एक शापित गंधर्व को इस व्रत की शक्ति से सर्प योनि से मुक्ति मिली थी। कहा जाता है कि कामदा एकादशी व्रत के करने से वाजपेय यज्ञ करने जैसा फल और पुण्य प्राप्त होता है।

कामदा एकादशी के दिन व्रत करने वाले लोगों को इस एकादशी की संपूर्ण कथा जरूर पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और बहुत ही ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है। आइये डालते हैं कामदा एकादशी की संपूर्ण कथा पर एक नजर:

कामदा एकादशी कथा

युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा, “हे जनार्दन! आप मुझ पर कृपा करके चैत्र शुक्ल एकादशी का महात्म्य बताइए।”

श्रीकृष्ण बोले – “हे धर्मराज! मैं तुम्हें एक प्राचीन कथा सुनाता हूं, जिसे स्वयं भगवान विष्णु ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इस एकादशी का नाम है कामदा एकादशी। यह व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला तथा इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है। इस व्रत को करने से मनुष्य को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।”

गंधर्व और नाग का श्राप

प्राचीन काल में रत्नपुर नामक नगर था, जो एक विशाल और समृद्ध नगरी थी। वहाँ ललित नामक एक सुंदर गंधर्व रहता था, जिसकी पत्नी का नाम ललिता था। वे दोनों एक-दूसरे से अत्यंत प्रेम करते थे।

ललित, रत्नपुर के राजा पुंडरीक के दरबार में गंधर्व गीत गाता था। एक दिन जब वह दरबार में गा रहा था, उसका ध्यान पत्नी ललिता की ओर था, जिससे वह ठीक से गा नहीं पाया। राजा को यह अपमानजनक लगा।

उसी दरबार में एक क्रूर नाग named कर्कोटक ने यह बात राजा से कह दी कि ललित का मन दरबार में नहीं है। राजा क्रोधित हुआ और ललित को श्राप दे दिया – “तू अपने स्त्री प्रेम में अंधा हो गया है, इसलिए तू राक्षस रूप में परिवर्तित हो जा।”

क्षणभर में ही सुंदर गंधर्व ललित, भयानक राक्षस में बदल गया। उसका शरीर विकराल, मुख अग्नि समान, और दृष्टि अत्यंत भयावह हो गई। ललिता यह देखकर व्याकुल हो उठी और अपने पति को उस दशा में देख अत्यंत दुःखी हुई।

ललिता को व्रत का ज्ञान

अपने पति की मुक्ति के लिए ललिता कई वर्षों तक वन-वन भटकती रही। अंत में वह शृंगी ऋषि के आश्रम में पहुँची और ऋषि से प्रार्थना की – “हे मुनिवर! कृपा करके मेरे पति को श्राप से मुक्त करने का कोई उपाय बताइए।”

ऋषि ने करुणामयी ललिता को देखकर कहा –
“हे साध्वी! तुम चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत करो, जिसका नाम कामदा एकादशी है। यह व्रत सभी दोषों का नाश करता है। यदि तुम श्रद्धा से यह व्रत करोगी और उसका पुण्य अपने पति को समर्पित करोगी, तो वह अवश्य श्राप से मुक्त हो जाएगा।”

ललिता का व्रत और ललित की मुक्ति

ललिता ने विधिपूर्वक एकादशी व्रत किया। द्वादशी के दिन व्रत का पुण्य अपने पति को अर्पित किया। उसी क्षण, ललित का राक्षस रूप समाप्त हो गया और वह फिर से सुंदर गंधर्व बन गया।

आकाशवाणी हुई – “हे ललिता! तुम्हारे इस पुण्य व्रत के कारण तुम्हारा पति श्रापमुक्त हो गया है। तुम्हारा व्रत सफल हुआ।”

ललिता और ललित ने ऋषि को प्रणाम किया और दिव्य लोक को चले गए।

व्रत का फल और महत्व

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा –
“हे युधिष्ठिर! इस प्रकार जो व्यक्ति श्रद्धा से कामदा एकादशी का व्रत करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यह व्रत वांछित फल देने वाला, मोक्ष प्रदान करने वाला और विशेष रूप से स्त्री-पति संबंध की रक्षा करने वाला है।”

कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि

दशमी तिथि (एकादशी से एक दिन पहले) को सात्विक भोजन करें और सूर्यास्त से पहले भोजन समाप्त कर लें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वचन, कर्म से शुद्ध रहें।
रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोएं।
व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान श्रीहरि विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें:
“ॐ विष्णवे नमः, मैं आज कामदा एकादशी व्रत का संकल्प करता/करती हूँ, कृपया मुझे शक्ति एवं सद्बुद्धि प्रदान करें।”

पूजा स्थान पर साफ सफाई कर चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
श्री विष्णु जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
उन्हें गंगाजल से शुद्ध करें, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, धूप-दीप अर्पित करें।
तुलसी पत्ते विशेष रूप से अर्पित करें, क्योंकि भगवान विष्णु तुलसी प्रिय हैं।
शंख में जल भरकर भगवान पर अर्पण करें, मंत्रों का जाप करें।

मंत्र जाप- विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु की आरती करें और भक्ति भाव से पूजा पूर्ण करें।

कामदा एकादशी व्रत के नियम

इस दिन अन्न, चावल, दाल, गेहूं, तामसिक वस्तुएं (प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि) वर्जित होती हैं। व्रती को दिनभर उपवास रखना चाहिए। फलाहार (फल, दूध, मावा आदि) कर सकते हैं यदि निर्जला संभव न हो। झूठ बोलना, क्रोध, छल, निंदा, कामवासना से बचना चाहिए।

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