Navratri Day First: मां शैलपुत्री को प्रिय है पीला रंग, जानिये क्यों
Navratri Day First: देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय त्योहार नवरात्रि की शुरुआत देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा से होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि रविवार 30 अप्रैल से शुरु हो रही है। मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और शक्ति, पवित्रता और भक्ति (Navratri Day First) का प्रतीक हैं। भक्तों का मानना है कि ईमानदारी से उनकी पूजा करने और पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करने से शांति और समृद्धि मिलती है। इस दिन का एक प्रमुख पहलू पीला रंग है, जो मां शैलपुत्री की पूजा में विशेष महत्व रखता है।
देवी शैलपुत्री कौन हैं?
मां शैलपुत्री, जिसका अर्थ है "पहाड़ की बेटी", नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। उन्हें एक बैल (नंदी) पर सवार और हाथों में त्रिशूल और कमल पकड़े हुए दिखाया गया है। वह प्रकृति की आधारभूत ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं और मानव शरीर में मूल ऊर्जा केंद्र मूलाधार चक्र से जुड़ी हैं। नवरात्रि (Navratri Day First) के पहले दिन उनकी पूजा त्योहार की आध्यात्मिक यात्रा की नींव रखती है।
पीला रंग क्यों महत्वपूर्ण है?
पीला रंग सकारात्मकता, ज्ञान और नई शुरुआत का रंग माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पीला रंग (Maa Shailputri) दैवीय तरंगों को आमंत्रित करता है और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करता है। भक्त पीले कपड़े पहनते हैं, पूजा में पीले फूलों का उपयोग करते हैं और माँ शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का प्रसाद तैयार करते हैं। पीला रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो माँ शैलपुत्री के गुण हैं। पीला रंग पहनकर उनकी पूजा करने से भक्तों को उनकी दिव्य शक्ति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
चूँकि पीला रंग ज्ञान और बुद्धि से जुड़ा है, इसलिए यह भक्ति और आध्यात्मिकता को बढ़ाता है। हिंदू परंपराओं में, पीले रंग को सौभाग्य और खुशी से जोड़ा जाता है, जो इसे नवरात्रि के पहले दिन के लिए एक आदर्श रंग बनाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन पीला (Maa Shailputri loves yellow colour) पहनने से मानसिक स्पष्टता आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
नवरात्रि के पहले दिन की रस्में
कलश स्थापना (घटस्थापना) - पवित्र बर्तन (कलश) की स्थापना की जाती है, जो नौ दिवसीय उत्सव की शुरुआत को चिह्नित करता है।
पीले फूल चढ़ाना - भक्त देवी को पीले फूल, विशेष रूप से गेंदा, चढ़ाते हैं।
जप और ध्यान - शैलपुत्री स्तोत्र और दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
पीले भोजन तैयार करना - बेसन का हलवा, चना दाल और केसरी भात जैसे व्यंजन भोग के रूप में तैयार किए जाते हैं।
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