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Narmadapuram Shiv Mandir MP: 500 साल पुराने वट वृक्ष से बना है यह शिव मंदिर, दर्शन मात्र से मनोकामना होती है पूर्ण

नर्मदापुरम जिले में स्थित एक अनोखा शिव मंदिर लोगों के आकर्षण और आस्था का बड़ा केंद्र है। यह मंदिर सोहागपुर के पास सिद्ध बाबा नाम से प्रसिद्ध है।
01:47 PM Feb 26, 2025 IST | Preeti Mishra

Narmadapuram Shiv Mandir MP: नर्मदापुरम जिले में स्थित एक अनोखा शिव मंदिर लोगों के आकर्षण और आस्था का बड़ा केंद्र है। यह मंदिर नर्मदापुरम जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूरी पर सोहागपुर के पास सिद्ध बाबा नाम से प्रसिद्ध है। इस शिव मंदिर (Narmadapuram Shiv Mandir MP) की सबसे ख़ास बात यह है कि वट वृक्ष की जड़ों से बना हुआ है, जो करीब 500 साल पुराना है और तब से यह वटवृक्ष महादेव को छाया प्रदान कर रहा है। इसकी अलौकिक छटा देखते ही बनती है। सोहागपुर तहसील के पास सिद्ध बाबा के नाम से प्रसिद्ध अनोखे इस शिवालय (Mahashivratri 2025) पर छत नहीं है बल्कि ये वट वृक्ष की छह जटाओं से ही बना हुआ है।

अक्षय वट में विराजे हैं भगवान शिव

अलौकिक और अद्भुत प्राचीन अक्षय वट के प्राकृतिक मंडप में भगवान शिव विराजे हैं । ऐसी मान्यता है कि जिस वट वृक्ष (Narmadapuram Shiv Mandir MP) की शाखाएं 1 हजार से अधिक हो जाती हैं वह वट अक्षय वट कहलाता है। श्रद्धालुओं के मुताबिक कई वर्षों पहले इस स्थान पर मणि श्री पंच जूना अखाड़ा के काशी गिरि नागा बाबा नामक एक साधु आकर बस गए थे। उनके मन को यह स्थान भा गया और उन्होंने इस स्थान पर रह कर शिव मंदिर की स्थापना की। सोहागपुर के निवासी आलोक जायसवाल ने बताया कि उनके पूर्वज द्वारा 5 एकड़ जमीन दान में दी गई थी। यह सिद्ध महाराज (shiv temple in madhya pradesh) का स्थान है। पहले यहां पर मात्र एक सिद्ध बाबा की माड़िया थी जो अब विशाल बरगद का वृक्ष बन चुका है।

मनोकामनाएं होती है पूर्ण

स्थानीय लोगों के अनुसार नागा बाबा ने गुफा के अंदर पाताल लोक बनाया है, जहां पर भगवान शिव (shiv temple made up of banyan tree) के चरण को स्थापित कर उस गुफा के ऊपर मृत्युलोक बनाकर शिवलिंग की स्थापना की गयी। इसी शिवलिंग के ऊपर आकाश लोक बना जहां डिवॉन के देव महादेव विराजमान हैं। इस जगह पर लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं। यहां की खास बात यह है कि यहां बने वट वृक्ष में हजारों की संख्या में जड़ें निकली हुई हैं। करीब 500 साल पुराने वटवृक्ष की जड़ों से यहां पर बसे काशी गिरि नागा बाबा ने वृक्ष की हर एक जड़ों से बहुत सी कलाकृतियां बनाई हैं।

बड़ी संख्या में आते है श्रद्धालु

इस चमत्कारी वट वृक्ष के चारों ओर जड़ों से अनंत जगह राम नाम लिखा हुआ है। राम नाम के साथ ही यहां पर ओम, स्वास्तिक, सुदर्शन चक्र, धनुष बाण, उड़ते हुए हनुमान, शिवलिंग, गणेश एवं बैठने के लिए कुर्सी और सोफा भी बना हुआ है। साथ ही परिक्रमा के लिए वट वृक्ष के चारों ओर जड़ों से छत भी निर्मित की गई है। स्थानीय निवासी आलोक जायसवाल का कहना है कि उनके पूर्वज द्वारा 5 एकड़ जमीन दान में दी गई थी। यह सिद्ध महाराज का स्थान है।

उनके मुताबिक़ उनके पूर्वज अजय बाबा ने बताया था कि यहां पर काशी गिरि नागा बाबा नामक एक साधु युवा अवस्था में आए थे, जो अजय बाबा को ही मिले थे। जब उनसे यहां पर रहने की चर्चा हुई, तब उन्होंने इस जगह को देखने के लिए कहा। तब यहां पर मात्र एक सिद्ध (Shiv Mandir MP) की मड़िया थी। इसी स्थान पर रहकर बाबा अपनी तपस्या करने लगे। आज इस स्थान पर नर्मदापुरम सहित मध्यप्रदेश के दूसरे शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी आस्था और मुरादें लिए पहुंचते हैं। उनका मानना है सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना यहां पूर्ण होती है।

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