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Masik Krishna Janmashtami 2025: कल है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, लड्डू गोपाल की होगी पूजा

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी को लोग कृष्ण मंदिरों में जाते हैं और भगवान कृष्ण को तुलसी के पत्ते, मक्खन और मिठाई चढ़ाते हैं।
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Masik Krishna Janmashtami 2025: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण को समर्पित एक मासिक उत्सव है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह चंद्र कैलेंडर के आधार पर पूरे वर्ष में विभिन्न तिथियों पर मनाया (Masik Krishna Janmashtami 2025) जाता है। इस दिन लोग उपवास करते हैं, कृष्ण मंत्रों का जाप करते हैं और भगवद गीता पढ़ते हैं।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी को लोग कृष्ण मंदिरों में जाते हैं और भगवान कृष्ण को तुलसी के पत्ते, मक्खन और मिठाई चढ़ाते हैं। माना जाता है कि यह व्रत (Masik Krishna Janmashtami 2025) शांति और सुरक्षा लाता है और इच्छाओं की पूर्ति करता है। इस दिन को भगवान कृष्ण के अनुयायियों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

कब है अप्रैल में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी?

द्रिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल को शाम 07 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 21 अप्रैल को शाम 06 बजकर 58 पर तिथि खत्म होगी। ऐसे में अप्रैल महीने में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 20 तारीख को मनाई जाएगी।

Masik Krishna Janmashtami 2025: कब है वैशाख महीने की मासिक कृष्ण जन्माष्टमी? जानें तिथि और पूजा विधि

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का गहरा आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि यह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण के मासिक रूप में प्रकट होने का सम्मान करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को मनाने से मन शुद्ध होता है, बाधाएँ दूर होती हैं और दिव्य आशीर्वाद मिलता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो सुरक्षा, शांति और आध्यात्मिक विकास चाहते हैं। यह व्रत व्यक्ति की भक्ति और भगवान कृष्ण के साथ संबंध को मजबूत करने में मदद करता है। मासिक जन्माष्टमी का नियमित पालन समृद्धि, आंतरिक आनंद और मुक्ति लाता है, जिससे यह पूरे वर्ष कृष्ण भक्तों के लिए एक प्रिय दिन बन जाता है।

Masik Krishna Janmashtami 2025: कब है वैशाख महीने की मासिक कृष्ण जन्माष्टमी? जानें तिथि और पूजा विधि

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

- दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करें और साफ या पारंपरिक कपड़े पहनें। पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें।
- भगवान कृष्ण से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए भक्ति और पवित्रता के साथ व्रत रखने की प्रतिज्ञा लें।
- एक सुसज्जित मंच या वेदी पर बाल गोपाल (शिशु कृष्ण) की एक साफ मूर्ति या छवि रखें।
- तुलसी के पत्ते, मक्खन, मिश्री, फल, मिठाई और दूध से बने उत्पाद तैयार करें और उन्हें भोग के रूप में चढ़ाएँ।
- "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" जैसे कृष्ण मंत्रों का जाप करें, भजन गाएँ और भक्ति के साथ आरती करें।
- भगवद गीता जैसे शास्त्र पढ़ें या कृष्ण के जीवन की कहानियाँ सुनाएँ।
- आधी रात के बाद या अगली सुबह, फिर से प्रार्थना करने के बाद, सात्विक भोजन के साथ व्रत तोड़ें।

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