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Manibandh Shakti Peeth: राजस्थान में स्थित है यह शक्ति पीठ, यहां गिरी थी देवी सती की कलाई

अभी नवरात्रि का पवित्र त्योहार चल रहा है। ऐसे में लोग दुर्गा मंदिरों और शक्ति पीठों का दर्शन करने जरूर जाते हैं।
01:55 PM Mar 31, 2025 IST | Preeti Mishra

Manibandh Shakti Peeth: अभी नवरात्रि का पवित्र त्योहार चल रहा है। ऐसे में लोग दुर्गा मंदिरों और शक्ति पीठों का दर्शन करने जरूर जाते हैं। ऐसी ही एक शक्ति पीठ है मणिबंध शक्ति पीठ। जहां मान्यता है कि यहां नवरात्रि के दिनों में सच्चे मन से मांगा हुआ वरदान माता रानी जरूर पूरा करतीं हैं। बता दें कि राजस्थान में स्थित मणिबंध शक्ति पीठ एक पूजनीय हिंदू तीर्थ स्थल है, जहाँ माना जाता है कि देवी सती की कलाई गिरी थी। इस पवित्र स्थल का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है और यहाँ हज़ारों भक्त आशीर्वाद, आध्यात्मिक उत्थान और कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।

ऐतिहासिक महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शक्ति पीठों का निर्माण भगवान शिव की पत्नी देवी सती के आत्मदाह से जुड़ी दिव्य घटना के कारण हुआ था। जब भगवान शिव ने उनके जलते हुए शरीर को दुःख में उठाया, तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को टुकड़ों में काट दिया। ये टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर गिरे, जो शक्ति पीठ बन गए। मणिबंध एक ऐसा ही पवित्र स्थल है जहाँ माना जाता है कि उनकी कलाई (मणिबंध) गिरी थी। इस दिव्य घटना ने इस स्थल को शक्ति भक्तों के लिए एक शक्तिशाली पूजा स्थल के रूप में स्थापित किया।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

मणिबंध शक्ति पीठ को भारतीय उपमहाद्वीप में फैले 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि माँ दुर्गा यहाँ माँ महिषासुरमर्दिनी के रूप में निवास करती हैं, जो राक्षस महिषासुर को हराने वाली भयंकर देवी थीं। उनके दिव्य पति भगवान शिव की यहाँ भैरव मणि भैरव के रूप में पूजा की जाती है। भक्तों का मानना ​​है कि इस पवित्र स्थल पर प्रार्थना करने से बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है, इच्छाएँ पूरी होती हैं और शांति और समृद्धि आती है।

मंदिर की परंपराएँ और विशेष पूजा

दैनिक अनुष्ठान - मंदिर में सुबह और शाम की आरती के साथ-साथ माँ महिषासुरमर्दिनी को समर्पित विशेष प्रार्थनाओं का एक सख्त दैनिक कार्यक्रम होता है।
नवरात्रि समारोह - चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान, मंदिर में भव्य हवन, भजन और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
देवी को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद - भक्त नारियल, लाल चुनरी, चूड़ियाँ, सिंदूर और मिठाई चढ़ाते हैं, जो भक्ति और कृतज्ञता का प्रतीक है।
विशेष शनिवार और मंगलवार की पूजा - इन दिनों को दैवीय सुरक्षा पाने और बाधाओं पर विजय पाने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
मणिबंध दान - एक अनूठी परंपरा जिसका पालन भक्त करते हैं जो देवी की पवित्र कलाई का प्रतीक आभूषण या चूड़ियाँ दान करते हैं।

त्योहार और उत्सव

नवरात्रि में मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है, और हजारों भक्त नौ दिनों तक चलने वाले उत्सव में भाग लेते हैं।
दुर्गा अष्टमी में विशेष हवन और कुमारी पूजा (देवी दुर्गा के अवतार के रूप में छोटी लड़कियों की पूजा) की जाती है।
महाशिवरात्रि में भगवान भैरव और भगवान शिव को समर्पित एक भव्य उत्सव।

मणिबंध शक्ति पीठ में भक्ति की शक्ति

इस मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना ​​है कि मणिबंध शक्ति पीठ में पूजा करने से सभी तरह की बाधाएं, बीमारियां और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं। इस मंदिर की दिव्य तरंगों को सदियों से महसूस किया जाता रहा है, जिससे यह देवी महिषासुरमर्दिनी का आशीर्वाद पाने वालों के लिए एक ज़रूरी तीर्थ स्थल बन गया है।

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