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Makar Sankranti 2024:क्या है मकर संक्रांति और खिचड़ी के बीच का रिश्ता?

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Makar Sankranti 2024: नए साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) हिंदू धर्म के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल से मकर राशि में प्रवेश करते है और...
12:17 PM Jan 11, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Makar Sankranti 2024: नए साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) हिंदू धर्म के लिए काफी खास माना जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल से मकर राशि में प्रवेश करते है और जिसे मकर संक्रांति कहते है। इस दिन सूर्य और शनि भगवान का मिलन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान, दान और खिचड़ी का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन अधिकतर घरों में खिचड़ी बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों बनाई और खाई जाती है। आखिर दोनों के बीच का रिश्ता क्या है? दरअसल इसके पीछे एक रोचक कहानी है जो आज हम आपको बताने जा रहे है। तो आइए जानते है इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें:-

खिचड़ी में प्रयोग होने वाले चीजों का खास संबंध

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन जो​ खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध सीधे किसी ना किसी ग्रह से होता है। इस दिन प्रयोग की जाने वाली काली उड़द या साबुत उड़द का संबंध शनि भगवान और सफेद चावल का संबंध सूर्य देव से माना जाता है। सूर्य देव शनि भगवान के पिता माने जाते है। इस तरह से उदड़ की दाल और चावल की खिचड़ी खाने से शनि और सूर्य दोनों भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जल चंद्रमा के लिए, हल्दी बृहस्पति गुरु के लिए, घी सूर्यदेव के लिए, नमक शुक्र के लिए और हरि सब्जियां बुध को प्रसन्न के लिए दान की जाती है। मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी खाना नवग्रहों को संतुष्ट करता है।

ऐसे हुई खिचड़ी खाने की शुरूआत

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी (Makar Sankranti 2024) खाने की शुरूआत से जुड़ी एक रोचक और प्रचलित कथा है। कहा जाता है कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने भारत पर आक्रमण किया था तब उनके विरूद्ध में बाबा गोरखनाथ अपने शिष्यों के साथ खड़े थे। युद्ध के कारण नाथ योगियों को भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था और इससे अक्सर वह लोग भूखे रह जाते थे और कमजोर हो रहे थे। तब एक दिन बाबा ने ही दाल,चावल और सब्जी मिला कर खाना बनाने की सलाह दी और यह व्यंजन काफी पौष्टिक था और इसे खाने से शरीर को ऊर्जा भी मिलती थी। इसके बाद इस व्यंजन का नाम खिचड़ी का नाम दिया गया।

तुंरत बनने वाली इस खिचड़ी से उनके खाने की समस्या की खत्म हो गई और गोरखनाथ ने खिजली के आंतक पर भी विजय हासिल कर ली। खिलजी के हिंदुस्तान छोड़ने के बाद योगियों द्वारा मकर संक्रांति के दिन उत्सव मनाया गया और इस दिन खिचड़ी बना कर सभी को बांटी गई। तभी से मकर संक्रांति और खिचड़ी के बीच में गहरा संबंध है। बता दें कि गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास हर साल मकर संक्रांति के दिन मेला लगता है। इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाकर सभी लोगों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता हैं

खिचड़ी दान का महत्व

पौराणिक मान्यता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन खिचड़ी बनाकर ​किसी ब्राह्मण को दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन चाहे तो आप खिचड़ी खिला सकते है या फिर आप दाल,हल्दी,चावल,घी नमक और हरी सब्ज़ियों का दान कर सकते है। कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों कों दाल खिचड़ी दान करने से व्यक्ति को ऊर्जा मिलती और समस्त प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता हैं।

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