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Magh Bihu Festival: इस दिन मनाया जाएगा बिहू का पर्व, जानें इसका महत्व

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Magh Bihu Festival: उत्तर पूर्व के राज्यों में बिहू एक बड़ा पर्व माना जाता है और यह असम (Magh Bihu Festival) के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। जिसे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते है। माघ बिहू...
02:32 PM Jan 05, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Magh Bihu Festival: उत्तर पूर्व के राज्यों में बिहू एक बड़ा पर्व माना जाता है और यह असम (Magh Bihu Festival) के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। जिसे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते है। माघ बिहू का पर्व भी लोहड़ी और पोंगल की तर्ज पर ही मनाया जाता है। इस दिन असम के लोग प्रकृति और भगवान को अच्छी फसलों व पैदावार के लिए शुक्रिया अदा करते है और खेतों में पक चुके फसलों की कटाई करते है। इस पर्व को लोगों द्वारा काफी हर्षो उल्लास के साथ मनाने की परंपरा है। आपकी जानकरी के लिए बता दे कि यह पर्व साल में 3 बार मनाया जाता है और इस साल का पहला बिहू 15 जनवरी को मनाया जाएगा। जिसे भगोली या माघ बिहू के नाम से भी जाना जाता है। उसके बाद बिहू का पर्व अप्रैल के मध्य में आता है जिसे रोंगाली बिहू और तीसरी बार अक्टूबर में आता है, जो काती बिहू के नाम से प्रसिद्ध है। आइए जानते है इस पर्व के महत्व के बारे में:—

माघ बिहू का महत्व

असम के लोग इस त्योहार के साथ ही नए साल की शुरूआत मानते है और पोंगल की तरह बिहू भी किसानों का त्योहार होता है। जिसमें किसान पके ​हुए फसलों की कटाई करते हैं और आने वाले भविष्य में अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है। लोगों द्वारा यह पर्व पूरे सात दिनों तक मनाया जाता है। वहीं बिहू के पर्व में गाय की पूजा को विशेष माना जाता है। इस दिन गायों को नहलाने और हरी सब्जी खिलाने की पंरपरा है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर गायों की सेहत अच्छी रहती है और परिवार में भी सुख शांति बनी रहती है।

कैसे मनाया जाता है माघ बिहू

माघ बिहू के दिन लोग नई फसल से तैयार अनाज से नए नए पकवान बनाते है और इन पकवानों को भगवान को भोग लगाते है। नई फसल के तैयार होने पर बिहू का उत्सव मनाया जाता है। पकवान बनने के बाद लोग खुशी में गाना गाते है और पांरपरिक पोषाक पहनकर ट्रेडिशनल डांस करते है। इस दिन लोग कच्ची ​हल्दी और उड़द दाल के तैयार मिश्रण से नहाकर नए कपड़े पहनते है। बड़े लोगों का आशीर्वाद लेते है। तो वहीं घर के बड़े लोग बच्चों को तोहफा देते है। इसकेे अलावा नाश्ते में चावल के साथ गुड़ और दही खाया जाता है।

खेले जाते है पांरपरिक खेल

​बिहू के दिन स्थानीय लोगों द्वारा कई तरह के पांरपरिक खेल भी आयोजित किए ​जाते है। जिसमें टेकेली भोंगा यानी बर्तन फोड़ना और भैसों की लड़ाई, मुर्गो और अंडे की लड़ाई इत्यादि जैसे असमिया खेल शामिल है। इस पर्व पर चावल से बने केक भी खिलाए जाते है। इस पर्व के खास मौके पर तिल, नारियल, चावल, दूध का इस्तेमाल करके अलग -अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

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