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श्रीराम मंदिर के शिखर पर सजा कलश, साधु-संतों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रों से गूंजा परिसर

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने जानकारी दी कि सुबह 9:15 बजे कलश पूजन की शुरुआत हुई और ठीक 10:30 बजे, शास्त्रों के अनुसार कलश को शिखर पर स्थापित कर दिया गया।
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अयोध्या में बन रहा श्रीराम मंदिर अब अपने वैभव की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ा चुका है। जिस क्षण का इंतजार करोड़ों श्रद्धालु कर रहे थे, वह क्षण आज साक्षात हुआ जब गर्भगृह के मुख्य शिखर पर पवित्र कलश को विधिवत स्थापित किया गया। जैसे ही कलश पूजन की प्रक्रिया शुरू हुई, मंदिर परिसर वैदिक मंत्रों की पवित्र ध्वनि और भक्ति गीतों से गूंज उठा। यह क्षण केवल एक निर्माण की नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और इतिहास के पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया।

कलश पूजन की हुई विधिवत शुरुआत

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने जानकारी दी कि सुबह 9:15 बजे कलश पूजन की शुरुआत हुई और ठीक 10:30 बजे, शास्त्रों के अनुसार कलश को शिखर पर स्थापित कर दिया गया। इस शुभ अवसर पर साधु-संतों, ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारियों और सैकड़ों स्थानीय श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

निर्माण कार्य के अगले चरण की ओर बढ़ाए कदम

मंदिर निर्माण अब अपने दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है। गर्भगृह के शिखर के पूर्ण होते ही अगला महत्त्वपूर्ण पड़ाव होगा – शिखर पर ध्वज की स्थापना। ट्रस्ट और इंजीनियरिंग टीम इस कार्य को अक्टूबर 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य लेकर दिन-रात जुटी हुई है। इस मंदिर के निर्माण में उपयोग किए जा रहे पत्थर राजस्थान और गुजरात की खदानों से लाए गए हैं। इन्हें कुशल कारीगरों ने बेहद बारीकी से तराशा है, जिससे हर पत्थर में भारतीय शिल्पकला की जीवंत झलक दिखाई देती है।

Sri Ram Temple Ayodhya Kalash

नागर शैली की स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना

श्रीराम मंदिर की वास्तुकला पूरी तरह से 'नागर शैली' पर आधारित है – जो भारतीय मंदिर निर्माण की एक शुद्ध और पारंपरिक शैली मानी जाती है। गर्भगृह में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा पहले ही भव्य आयोजन के साथ संपन्न हो चुकी है। अब शिखर पर कलश की स्थापना ने इस मंदिर को एक नई गरिमा प्रदान कर दी है।

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