कैलाश मानसरोवर यात्रा: जून से अगस्त के बीच कर सकेंगे यात्रा, सरकार ने जारी की एजवाइजरी
अगर आप आध्यात्मिकता की गहराई को छूना चाहते हैं और प्रकृति की गोद में शिव के दर्शन करना चाहते हैं, तो कैलाश मानसरोवर यात्रा आपके लिए एक अद्भुत अवसर हो सकती है। साल 2025 में यह पवित्र यात्रा जून से अगस्त के बीच आयोजित की जाएगी। विदेश मंत्रालय ने इसकी घोषणा करते हुए पूरी रूपरेखा भी साझा कर दी है।
कहां से और कैसे होगी यात्रा शुरू
इस साल यात्रियों के लिए दो रास्तों से यात्रा की सुविधा दी गई है। उत्तराखंड के लिपुलेख पास से कुल 5 जत्थे रवाना होंगे, जिनमें हर जत्थे में 50 यात्री शामिल होंगे। वहीं सिक्किम के नाथू ला पास से 10 जत्थे जाएंगे, और यहां भी हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। इस तरह कुल 750 श्रद्धालुओं को इस साल यात्रा का सौभाग्य मिलेगा।
यात्रा की व्यवस्था उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम की राज्य सरकारों के सहयोग से की जाएगी। इसके अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) यात्रियों की सुविधा का विशेष ख्याल रखेंगे।
क्या है सरकार की एडवाइजरी
कैलाश मानसरोवर यात्रा बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। यहां आपको कठिन रास्तों, अनियमित मौसम और ऊंचाई की वजह से कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यात्रा के दौरान यात्रियों को लगभग 19,500 फीट की ऊंचाई तक चढ़ाई करनी पड़ती है। इसलिए, केवल वे लोग ही आवेदन करें जो शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट हों। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट (DHLI) यात्रियों की मेडिकल जांच करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे इस कठिन यात्रा के लिए योग्य हैं।
जोखिम की पूरी जिम्मेदारी यात्रियों की
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना, मृत्यु, चोट या सामान की हानि के लिए वह जिम्मेदार नहीं होगी। यात्रियों को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे, जिसमें यह उल्लेख होगा कि वे इस यात्रा को अपनी इच्छा और जोखिम पर कर रहे हैं। अगर किसी तीर्थयात्री की सीमा पार (चीन में) मृत्यु हो जाती है, तो उसके पार्थिव शरीर को भारत लाना सरकार की बाध्यता नहीं होगी। ऐसे मामलों में अंतिम संस्कार वहीं किया जाएगा।
क्यों खास है कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और मानसरोवर झील को मोक्ष का प्रतीक। यह यात्रा ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक अनुभवों से भी भरपूर होती है। यहां की शांत वादियां, हिमाच्छादित पहाड़ और निर्मल झीलें मन और आत्मा को नई ऊर्जा से भर देती हैं।
यह भी पढ़ें:
Jwala Devi Temple: इस शक्ति पीठ में जलती रहती है अखंड ज्योत, यहां गिरी थी माता सती की जीभ
Konark Sun Temple: कोणार्क सूर्य मंदिर में नहीं होती है कोई पूजा, जानिए क्यों