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Janmashtami Kab Hai: सोमवार को गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी, मंगलवार को मनाएंगे वैष्णव जन

Janmashtami Kab Hai: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष (Janmashtami Kab...
06:57 PM Aug 24, 2024 IST | Preeti Mishra

Janmashtami Kab Hai: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष (Janmashtami Kab Hai) भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि सोमवार को प्रातः 08:20 से मंगलवार को प्रातः 06:34 तक ही रहेगी।

ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि सोमवार को रात्रि में 09:10 के पश्चात् रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ हो जाएगी। अतः सोमवार को ही गृहस्थ जन जयन्ती योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami Kab Hai) का पावन पुनीत पर्व मनायेंगे। इस दिन को बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है।

                                                                                                      ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय
इस बार जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण सप्तमी तिथि सोमवार को प्रातः 08:20 तक रहेगी पश्चात् अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। अतः सोमवार को अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग मिलने के कारण जयन्ती योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत व जन्मोत्सव मनाया जाएगा जो अत्यन्त ही मंगलकारी है।

कब होगा वैष्णव जन के लिए जन्माष्टमी?

वैष्णव जन के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत उदया तिथि अष्टमी एवं रोहिणी का संयोग अर्ध रात्रि में यह योग नही रहेगा फिर भी उदया तिथि को मानने वाले वैष्णवजन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार 27 अगस्त को मनाएंगे।

पूजन विधि-पूरे दिन भर व्रत करते हुए सायं काल भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाकर श्री कृष्ण का बाल स्वरूप मूर्ति पालने में रखकर मध्यरात्रि के पहले गौरी गणेश, वरुण का आह्वान व पूजन करते हुए मध्यरात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के साथ आवाहन कर विधवत पूजन करके श्री कृष्ण की स्तुति करें व रात्रि जागरण करना चाहिए।

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