• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

Guru Pradosh Vrat: 9 या 10 अप्रैल, कब है चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें पूजा का समय

सुबह जल्दी उठें, पवित्र स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और भक्ति के साथ व्रत रखने का संकल्प लें।
featured-img

Guru Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाने वाला एक पवित्र हिंदू व्रत है। यह हर चंद्र महीने में शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (13वें दिन) को पड़ता है। यह व्रत (Guru Pradosh Vrat) प्रदोष काल के दौरान मनाया जाता है, जो सूर्यास्त के ठीक बाद का समय होता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से पाप दूर होते हैं, समृद्धि मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सप्ताह के दिन के आधार पर सोम प्रदोष या शनि प्रदोष जैसे विभिन्न प्रकार के प्रदोष व्रत मनाए जाते हैं।

प्रदोष व्रत कब है?

अप्रैल महीने का पहला और चैत्र महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। चूंकि इस दिन गुरुवार होगा, इसलिए इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल को रात 10:55 बजे से शुरू होगी। वही इसका समापन 11 अप्रैल को रात एक बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ समय शाम 06:55 से रात 09:13 तक है।

त्रयोदशी तिथि का आरम्भ: अप्रैल 9, रात 10:55 बजे
त्रयोदशी तिथि का समापन: 11 अप्रैल, रात 01:00 बजे

Guru Pradosh Vrat: 9 या 10 अप्रैल, कब है चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें पूजा का समय

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:31 मिनट से 5:16 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 6:34 मिनट से शाम 7:05 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 11:59 मिनट से देर रात 12:45 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:57 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट तक

Guru Pradosh Vrat: 9 या 10 अप्रैल, कब है चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत? जानें पूजा का समय

प्रदोष व्रत पूजा विधि

सुबह जल्दी उठें, पवित्र स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और भक्ति के साथ व्रत रखने का संकल्प लें।

- भक्त शाम को प्रदोष काल तक निर्जल या फलहार का व्रत रखते हैं।
- सूर्यास्त से पहले दूसरा स्नान करें और पूजा स्थल को साफ करके भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति या फोटो रखकर पूजा स्थल तैयार करें।
- भगवान शिव की छवि या शिवलिंग के सामने घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फूल, फल और दूध चढ़ाएं। "ओम नमः शिवाय" और अन्य शिव मंत्रों का जाप करें।
- प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें, जो व्रत रखने के महत्व और दिव्य आशीर्वाद का वर्णन करती है।
- पूजा का समापन शिव आरती से करें और शांति, समृद्धि और पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।

यह भी पढ़ें:  Kharmas End: अप्रैल में इस दिन ख़त्म हो जाएगा खरमास, शुरू हो जाएंगे शादी-विवाह, जानें शुभ मुहूर्त

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज tlbr_img4 वीडियो tlbr_img5 वेब सीरीज