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Gangaur 2025: जानिए किस दिन रखा जाएगा गणगौर का व्रत, क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

गणगौर व्रत देवी गौरी और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महिलायें बहुत उत्साह के साथ गणगौर मात की पूजा आराधना करती हैं।
12:20 PM Mar 23, 2025 IST | Jyoti Patel
Gangaur 2025

Gangaur 2025: गणगौर व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए। यह व्रत उनके पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।गणगौर व्रत देवी गौरी (पार्वती) और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महिलायें बहुत उत्साह के साथ गणगौर मात की पूजा आराधना करती हैं। इतना ही नहीं अविवाहित लड़कियां भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत खासतौर पर राजस्थान, में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइये जानते हैं इस साल किस दिन गणगौर व्रत रखा जाएगा

कब रखा जाएगा गणगौर व्रत

गणगौर व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। 2025 में, तृतीया तिथि 31 मार्च को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 1 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि उदया तिथि 31 मार्च को है, इसलिए गणगौर व्रत इसी दिन मनाया जाएगा।

गणगौर व्रत का महत्व

गणगौर व्रत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह व्रत उनके पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। अविवाहित लड़कियां भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन गणगौर माता का साज श्रृंगार किया जाता है। राजस्थान में इस त्यौहार का अत्यंत महत्व है। इस दिन गणगौर माता की सवारी भी निकाली जाती है।

गणगौर व्रत पूजा विधि

गणगौर व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा की तैयारी करते हुए अपने पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। देवी माँ को श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित करें उन्हें चंदन, अक्षत, रोली, कुमकुम और दूर्वा चढ़ाएँ। माता पार्वती और भगवान शिव के सामने धूप और दीपक जलाएँ। उन्हें चूरमे का भोग लगाएँ। इसके अलावा एक थाली में चाँदी का सिक्का, सुपारी, पान, दूध, दही, गंगाजल, हल्दी, कुमकुम और दूर्वा डालकर सुहाग जल तैयार करें। इस जल को माता पार्वती और भगवान शिव पर छिड़कें, और फिर परिवार के सदस्यों पर भी छिड़कें। जिसके बाद गणगौर की कथा सुनें। आरती करें और प्रसाद वितरित करें। ध्यान रहे गणगौर पूजा में साफ सफाई और शुद्धता का विशेष ख्याल रखे।

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