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Gangaur 2024 Date: क्यों मनाया जाता है गणगौर पर्व, जानें इसका महत्व,तिथि व शुभ मुहूर्त

Gangaur 2024 Date: गणगौर भारत के सबसे प्रसिद्ध और पसंदीदा त्यौहारों (Gangaur 2024 Date)में से एक माना जाता है। गणगौर का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। गणगौर शब्द का अर्थ ही शिव और पार्वती है...
11:06 AM Mar 09, 2024 IST | Juhi Jha

Gangaur 2024 Date: गणगौर भारत के सबसे प्रसिद्ध और पसंदीदा त्यौहारों (Gangaur 2024 Date)में से एक माना जाता है। गणगौर का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। गणगौर शब्द का अर्थ ही शिव और पार्वती है यानी यह दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें गण से तात्पर्य शिव और गौर से तात्पर्य पार्वती से होता है। यह पर्व महिलाएं सामूहिक रूप से 18 दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व में जहां शादीशुदा महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है तो वहीं दूसरी तरफ कुंवारी कन्याएं व्रत करने मनपसंद वर की कामना करती है। ऐसे में आइए जानते है इस साल किस दिन गणगौर पर्व मनाया जाएगा,क्या है इसका शुभ मुहूर्त व महत्व:—

गणगौर 2024 तिथि व शुभ मुहूर्त:-

गणगौर पर्व (Gangaur 2024 Date) 25 मार्च 2024 से शुरू होगा और यह 11 अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा। तृतीया तिथि की शुरूआत 10 अप्रैल 2024 शाम को 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 11 अप्रैल 2024 को दोपहर में 03:00 बजे समाप्त होगी। इस दौरान महिलाएं व लड़कियां मिट्टी से महादेव व मां पार्वती की मूर्तिया बनाते है और उनकी पूजा करते है। चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि यानी 10 अप्रैल को अपने घरों से गण यानी भगवान शिव और गौरी की प्रतिमा को नदी या फिर तालाब पर ले जाकर जल पिलाने की पंरपरा होती है और फिर तृतीया तिथि को इन्हें विधि विधान के साथ विसर्जित किया जाता है।

गणगौर 2024 का महत्व:-

गणगौर का पर्व मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को करने से कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है और शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस पर्व को लेकर एक अलग मान्यता भी जुड़ी हुई है। गणगौर  (Gangaur 2024 Date) को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को पालन महिलाएं अपने पति से छुपकर करती है।

वहीं इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि गणगौर के दिन महिलाएं अपने हाथों से भगवान शिव और मां पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाती है और उनका 16 श्रृंगार करती है। गणगौर को कई जगहों पर गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां पार्वती भगवान शिव के साथ सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए भ्रमण करती है।

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