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Chaitra Pradosh Vrat: इस दिन है मार्च महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, इस विधि से करें पूजा

भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत, चंद्र मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों चरणों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
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Chaitra Pradosh Vrat

Chaitra Pradosh Vrat: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत, चंद्र मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों चरणों की त्रयोदशी तिथि (तेरहवें दिन) को मनाया जाता है। मार्च 2025 में, चैत्र कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत गुरुवार, 27 मार्च, 2025 को पड़ रहा है, जो महीने का आखिरी प्रदोष व्रत (Chaitra Pradosh Vrat) है। जब प्रदोष व्रत गुरुवार के साथ पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है, जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।​

प्रदोष व्रत का महत्व:

ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के पिछले पाप धुल जाते हैं और उन्हें स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक उत्थान का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू त्रिदेवों में विनाश और परिवर्तन से जुड़े देवता हैं। गुरूवार (Chaitra Pradosh Vrat) को पड़ने वाला गुरु प्रदोष व्रत और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस व्रत में भगवान शिव और बृहस्पति (गुरु) दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है।

Chaitra Pradosh Vrat: इस दिन है मार्च महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, इस विधि से करें पूजा चैत्र प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और समय:

तिथि: गुरूवार, 27 मार्च, 2025​
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 27 मार्च, 2025, दोपहर 01:42 बजे​
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 27 मार्च, 2025, रात 11:03 बजे​
प्रदोष काल (पूजा के लिए शुभ समय): शाम 6:36 बजे से रात 8:56 बजे​

प्रदोष काल का समय सूर्यास्त पर आधारित है और स्थान के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।

चैत्र प्रदोष व्रत के लिए पूजा विधि:

दिन की शुरुआत सुबह स्नान से करें, सूर्योदय से पहले, ताकि शरीर और मन शुद्ध हो सके। भगवान शिव (Chaitra Pradosh Vrat 2025 date) का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ईमानदारी और भक्ति के साथ व्रत रखने का संकल्प लें। पूरे दिन कठोर उपवास रखें। कुछ भक्त निर्जला व्रत का विकल्प चुनते हैं, जबकि अन्य फल और दूध का सेवन कर सकते हैं। अनाज, दालें और मांसाहारी खाने का सेवन करने से बचें।

Chaitra Pradosh Vrat: इस दिन है मार्च महीने का आखिरी प्रदोष व्रत, इस विधि से करें पूजा

प्रदोष काल के दौरान शाम की पूजन विधि

पूजा क्षेत्र को साफ करें और इसे ताजे फूलों से सजाएं । भगवान शिव की मूर्ति या चित्र (Chaitra Pradosh Vrat time) स्थापित करें, हो सके तो शिवलिंग के रूप में। घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर भगवान के सामने रखें। भगवान शिव को बिल्वपत्र, सफेद फूल, चंदन, धूपबत्ती और फल चढ़ाएं। दूध, शहद, दही, घी और गंगाजल जैसे पदार्थों से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिव मंत्र जैसे "ओम नमः शिवाय" का जाप करें और प्रदोष व्रत कथा का जाप करें। भगवान शिव की आरती, भजन गाकर और कपूर की रोशनी अर्पित करके पूजा का समापन करें।

रात्रि जागरण और व्रत तोड़ना

भक्तों को रात में जागते रहने, भजन गाने और भगवान शिव का ध्यान करने की सलाह दी जाती है। पारंपरिक रूप से व्रत अगली सुबह पूजा करने और ब्राह्मण या किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराने के बाद तोड़ा जाता है। व्रत तोड़ने के लिए हल्का और सात्विक भोजन करें।

गुरु प्रदोष व्रत के लिए विशेष विचार

गुरुवार को प्रदोष व्रत रखने से आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है और समृद्धि (Chaitra Pradosh Vrat importance) आती है। भक्त इस दिन भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी कर सकते हैं ताकि दोनों का आशीर्वाद मिल सके। गुरु प्रदोष व्रत के दौरान पीले रंग की चीज़ें, जैसे पीले फूल और केले जैसे फल चढ़ाना शुभ माना जाता है

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