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Chaiti Chhath 2025: इस दिन है चैती छठ, जानें नहाय खाय, खरना और अर्घ्य की तिथि

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक दिवाली के बाद कार्तिक महीने में और दूसरा चैती छठ वसंत ऋतु में मनाई जाती है।
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Chaiti Chhath 2025

Chaiti Chhath 2025: चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह पर्व चैत्र माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार (Chaiti Chhath 2025) मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। इस पर्व में साधक चार दिन का कठोर उपवास रखते हैं और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं।

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक दिवाली के बाद कार्तिक महीने में और दूसरा चैती छठ वसंत ऋतु में मनाई जाती है। कार्तिक महीने की छठ की तरह, चैती छठ की शुरुआत भी नहाय-खाय के साथ होती है और इसका भी समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर होता है। इस पर्व में भी 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि चैती छठ (Chaiti Chhath 2025) के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण होता है।

Chaiti Chhath 2025: इस दिन है चैती छठ? जानें नहाय खाय, खरना और अर्घ्य की तिथि

चैती छठ पूजा 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां

कार्तिक छठ पूजा की तरह चैती छठ भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। चैती छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है। उसके बाद खरना आता है। यह छठ पर्व का दूसरा दिन होता है। इस दिन से 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन सूर्यास्त के बाद व्रती गुड़ की खीर रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व का समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है।

1 अप्रैल 2025- नहाय-खाय
2 अप्रैल 2025- खरना
3 अप्रैल 2025- संध्या अर्घ्य
4 अप्रैल 2025- उषा अर्घ्य

Chaiti Chhath 2025: इस दिन है चैती छठ? जानें नहाय खाय, खरना और अर्घ्य की तिथि

चैती छठ पूजा के शुभ समय

1 अप्रैल (नहाय-खाय): व्रती त्योहार के लिए संकल्प लेते हैं और अरवा चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी खाते हैं।
2 अप्रैल (खरना): गुड़ और चावल की खीर का विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है और शाम को खाया जाता है। षष्ठी तिथि 2 अप्रैल को रात 11:49 बजे शुरू होगी और 3 अप्रैल को रात 9:41 बजे समाप्त होगी।
3 अप्रैल (संध्या अर्घ्य): व्रती शाम 6:40 बजे डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे।
4 अप्रैल (उषा अर्घ्य): व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत का समापन करते हैं। सूर्योदय सुबह 6:08 बजे होगा।

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