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Bhishma Ashtami 2024: इस साल कब मनाया जाएगा भीष्म अष्टमी का पर्व? जानिए इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Bhishma Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Bhishma Ashtami 2024) को भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भीष्म अष्टमी का दिन भीष्म...
03:02 PM Feb 07, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Bhishma Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Bhishma Ashtami 2024) को भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भीष्म अष्टमी का दिन भीष्म पितामह तर्पण के रूप में मनाया जाता है। इस​ दिन लोग उपवास करते है। उसे सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन पितरों को तर्पण और दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। ऐसे में आइए जानते है इस साल कब है भीष्म अष्टमी,शुभ तिथि और क्यों मनाया जाता है भीष्म अष्टमी का पर्व :—

भीष्म अष्टमी शुभ मुहूर्त :-

 

इस साल भीष्म अष्टमी का पर्व 16 फरवरी,शु​क्रवार को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि का प्रांरभ 16 फरवरी को प्रात: 08 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 08 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि की वजह से 16 फरवरी को ही भीष्म अष्टमी का उपवास रखा जाएगा।

क्यों मनाया जाता है भीष्म अष्टमी का पर्व:-

महाभारत के समय में कई ऐसी अद्भूत घटना घटी जिसने हर व्यक्ति को आश्चर्य में डाल दिया। ऐसी ही एक घटना धनुर्धर अर्जुन द्वारा भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लेटा देना था। भीष्म पितामह ने अपने जीवन काल में ब्रह्मचर्य रहने की प्रतिज्ञा ली थी। साथ ही उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान भी प्राप्त था। इसलिए रणभूमि में कई बाणों से घायल होने के बाद भी उन्होंने अपनी इच्छानुसार ही प्राण त्यागा था। भीष्म पितामाह ने अपने प्राण त्याने के लिए माघ शुक्ल अष्टमी का दिन चुना था। उस समय सूर्यदेव उत्तरायण की ओर प्रस्थान करने लगे ​थे। इस वजह से इस समय को शुभ माना गया। तभी से माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी के नाम से जाना जाता है।

 

भीष्म अष्टमी का पर्व का महत्व:-

माना जाता है कि जो व्यक्ति भीष्माष्टमी के दिन व्रत करता है उसे सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। मान्यताएं है कि इस दिन अगर नि: संतान महिलाएं व्रत रखे तो उन्हें गुणवान और बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना और इच्छा पूर्ण होती है।

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