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Basant Panchami Amrit Snan: पंचमी तिथि दो दिन तो बसंत पंचमी का अमृत स्नान कब? जानिए सही तिथि और मुहूर्त

इस बार पंचमी तिथि दो दिनों को पड़ रही है। इसीलिए बसंत पंचमी की तिथि और इस दिन होने वाले अमृत स्नान को लेकर भी भ्रम की स्थिति बन रही है।
11:59 AM Feb 01, 2025 IST | Preeti Mishra

Basant Panchami Amrit Snan: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के 20 दिन पूरे हो चुके हैं। अब तक लगभग 30 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके हैं। वैसे तो महाकुंभ का प्रत्येक दिन (Basant Panchami Amrit Snan) विशेष होता है। लेकिन अमृत स्नान, जिसे पहले शाही स्नान के नाम से जाना जाता है, का दिन सभी के लिए बड़ा पवित्र होता है। महाकुंभ में अब तक दो अमृत स्नान हो चुके हैं। वहीँ तीसरा अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन होगा।

बसंत पंचमी की तिथि को लेकर है भ्रम की स्थिति

इस बार पंचमी तिथि दो दिनों को पड़ रही है। इसीलिए बसंत पंचमी की तिथि (Basant Panchami Amrit Snan) और इस दिन होने वाले अमृत स्नान को लेकर भी भ्रम की स्थिति बन रही है। ज्योतिषियों के अनुसार, पंचमी तिथि का आरंभ 2 फरवरी को 12 बजकर 45 मिनट पर होगा। पंचमी तिथि (Basant Panchami Date) की समाप्ति 3 फरवरी को 9 बजकर 48 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 3 फरवरी को ही जाएगा।

महाकुंभ का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान कब?

महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का तीसरा और आखिरी अमृत स्नान (Mahakumbh Third Amrit Snan) बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में होगा। बसंत पंचमी 2025 अमृत स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त में समय सुबह 05:05 मिनट से 05:55 मिनट तक है। वहीं बसंत पंचमी के दिन महाकुंभ पुण्यकाल शुभ मुहूर्त सुबह 05:05 बजे से 09:48 मिनट तक रहेगा। इस समयवधि के बीच स्नान करना शुभ माना जाएगा। इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ में सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत और सन्यासी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे।

बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का महत्व

महाकुंभ के दौरान बसंत पंचमी (Significance of Amrit Snan on Basant Panchami) पर अमृत स्नान को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस पवित्र दिन पर, भक्त गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं। लोगों का यह विश्वास होता है कि इससे पाप धुल जाते हैं, नकारात्मक कर्म दूर हो जाते हैं और मोक्ष मिलता है। दिव्य ऊर्जाओं का संरेखण स्नान के आध्यात्मिक लाभों को बढ़ाता है, समृद्धि, ज्ञान और आंतरिक शांति लाता है। यह देवी सरस्वती को समर्पित दिन भी है, जो इसे ज्ञान प्राप्त करने के लिए विशेष बनाता है। महाकुंभ में साधु-संत और लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं, जिससे यह एक शक्तिशाली और परिवर्तनकारी आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।

यह भी पढ़ें: Mahakumbh Snan: महाकुंभ में होते हैं 'पर्व स्नान' और 'अमृत स्नान', जानिए दोनों की तिथियां और अंतर

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