अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को, ज्योतिषाचार्य से जानें इस दिन का क्यों है विशेष महत्व
Akshaya Tritiya 2025: इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का पुण्य पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि बुधवार को शाम 06:00 बजे तक है
अक्षय तृतीया के दिन बन रहे हैं तीन योग
इस बार अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) को बुधवार का दिन, रोहिणी नक्षत्र व शोभन योग, तीनों मिल रहे हैं। इस दिन समुद्र स्नान व मध्याह्न काल में सत्तू, चीनी, जल, फल, मिठाई आदि सामग्रियों के दान का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। मध्याह्न काल में चन्द्रमा वृष के रहेंगे साथ ही रोहिणी नक्षत्र व शोभन योग रहेगा।
अक्षय तृतीया के दिन खीर बना कर लगाएं भोग
ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि इसी दिन आदि शक्ति जगदम्बा जब बाल्यावस्था में थी उस समय ऋषियों ने उन्हें अक्षय पात्र दिया और यह वर भी दिया की इसमें रखा हुआ अन्न हमेशा पूर्ण रहेगा। अतः लोगों को चाहिए की वो अक्षय तृतीता के दिन पीतल के पात्र में गाय के दूध से खीर बनाकर भगवती अन्नपूर्णा को भोग लगाकर सभी परिवारीजनों को वितरित करें। उसके बाद उस पात्र में चावल या गेहू भरकर रख देवें। परिणामस्वरुप एक वर्ष तक घर में भोजन की कमी नहीं होगी और सबका आपसी सामंजस्य बना रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय
अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त
अक्षय तृतीया को हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ और पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसका सबसे अनोखा पहलू यह है कि पूरा दिन "अबूझ मुहूर्त" माना जाता है। अबूझ मुहूर्त का मतलब है ऐसा समय जब किसी महत्वपूर्ण काम को शुरू करने के लिए किसी विशेष ज्योतिषीय गणना या शुभ मुहूर्त के चयन की आवश्यकता नहीं होती है।
आमतौर पर, शादी, संपत्ति खरीदना, व्यवसाय शुरू करना, गृह प्रवेश आदि जैसी गतिविधियों के लिए लोग शुभ मुहूर्त जानने के लिए पुजारी या पंचांग से सलाह लेते हैं। हालांकि, अक्षय तृतीया पर पूरा दिन स्वाभाविक रूप से शुभ होता है और इस दिन की गई कोई भी नई शुरुआत अनंत समृद्धि, सफलता और सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है।
इस कारण, अक्षय तृतीया इन कामों के लिए पसंदीदा दिन है:
विवाह
नया व्यवसाय शुरू करना
सोने या संपत्ति में निवेश करना
दान-पुण्य के कार्य
आध्यात्मिक दीक्षा और पूजा-पाठ
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