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स्क्रैमजेट इंजन क्या है? जिससे भारत की आसमान में बढ़ेगी बादशाहत, पाक की शाहीन-गौरी मिसाइलें चाटेंगी धूल!

DRDO ने स्क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकंड से ज्यादा सफल टेस्ट कर भारत को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में सुपरपावर बनाया, दुनिया भी देखती रह गई।
03:57 PM Apr 26, 2025 IST | Rohit Agrawal

भारत ने 25 अप्रैल 2025 को स्क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकंड से ज्यादा का ऐतिहासिक टेस्ट कर दुनिया को चौंका दिया। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की हैदराबाद स्थित लैब DRDL ने यह करिश्मा किया, जिसने भारत को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में अमेरिका और चीन से भी आगे कर दिया। अमेरिका ने 240 सेकंड और चीन ने इससे कम समय की टेस्टिंग की, लेकिन भारत का 1000 सेकंड का रिकॉर्ड अभूतपूर्व है। आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान तो इस रेस में कहीं नहीं ठहरता। उसकी शाहीन और गौरी मिसाइलें भारत की हाइपरसोनिक ताकत के सामने फिसड्डी साबित होंगी। आइए, जानें कि स्क्रैमजेट इंजन क्या है और क्यों यह भारत को आसमान का बेताज बादशाह बनाएगा।

स्क्रैमजेट इंजन: हाइपरसोनिक क्रांति का इंजन

स्क्रैमजेट, यानी सुपरसोनिक कंबशन रैमजेट, एक एयर-ब्रीदिंग जेट इंजन है जो हाइपरसोनिक गति (मैक 5 या 5400 किमी/घंटा से ज्यादा) पर काम करता है। यह पारंपरिक इंजनों से अलग है, क्योंकि इसमें कोई घूमने वाला हिस्सा नहीं होता। यह हवा से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन जलाता है, जिससे मिसाइल या जेट का वजन कम और रेंज ज्यादा होती है।

DRDO ने जनवरी 2025 में 120 सेकंड का टेस्ट किया था, और अब 1000 सेकंड की टेस्टिंग ने भारत को इस तकनीक में अग्रणी बना दिया। यह इंजन हाइपरसोनिक मिसाइलों को इतनी ताकत देगा कि दुश्मन की कोई रक्षा प्रणाली इन्हें रोक नहीं पाएगी।

क्यों है स्क्रैमजेट इतना खास?

अल्ट्रा-स्पीड: स्क्रैमजेट से लैस मिसाइलें ध्वनि की गति से 6-10 गुना तेज (मैक 6-10) उड़ सकती हैं। यह 100 किमी/मिनट से ज्यादा की रफ्तार है!

हल्का और घातक: इसमें टरबाइन या ऑक्सीजन टैंक की जरूरत नहीं। हवा से ऑक्सीजन लेकर यह ज्यादा पेलोड (विस्फोटक) ले जा सकता है, जिससे हमले ज्यादा विनाशकारी होंगे।

फ्लेम स्टेबलाइजेशन: 1.5 किमी/सेकंड से ज्यादा हवा की गति में भी यह इंजन स्थिर जलन बनाए रखता है। इसे “तूफान में मोमबत्ती जलाने” जैसा कहा जाता है।

एंडोथर्मिक फ्यूल: DRDO और इंडस्ट्री ने मिलकर ऐसा ईंधन बनाया जो गर्मी सोखता है, इंजन को ठंडा रखता है और इग्निशन को आसान बनाता है।

थर्मल बैरियर कोटिंग: सिरेमिक कोटिंग स्टील के पिघलने से ज्यादा तापमान झेल सकती है, जिससे इंजन की उम्र और ताकत बढ़ती है।

पाकिस्तान की शाहीन-गौरी: पुरानी पड़ चुकी ताकत

पाकिस्तान की शाहीन (2000-2500 किमी रेंज) और गौरी (1300 किमी रेंज) मिसाइलें बैलिस्टिक हैं, जो मैक 5 से कम गति और निश्चित रास्ते पर चलती हैं। ये भारत की अग्नि-5 (5000 किमी, मैक 24) से पहले ही कमजोर थीं। अब स्क्रैमजेट-पावर्ड हाइपरसोनिक मिसाइलें, जो अनप्रेडिक्टेबल रास्तों पर मैक 6-10 की गति से उड़ेंगी, पाकिस्तान की मिसाइल डिफेंस को बेकार कर देंगी। पाकिस्तान के पास न तो ऐसी तकनीक है, न ही आर्थिक ताकत कि वह भारत से मुकाबला कर सके। उसकी अर्थव्यवस्था 340 बिलियन डॉलर की है, जबकि भारत की 3.7 ट्रिलियन डॉलर। युद्ध हुआ तो भारत की हाइपरसोनिक मिसाइलें मिनटों में पाकिस्तान की रक्षा को ध्वस्त कर देंगी।

भारत की उड़ान, दुनिया की नजर

स्क्रैमजेट तकनीक सिर्फ मिसाइलों तक सीमित नहीं। यह स्पेस मिशन, रीकॉन विमान, और कम लागत वाले सैटलाइट लॉन्च व्हीकल के लिए भी गेम-चेंजर है। ISRO के हाइपरसोनिक एयर ब्रीदिंग व्हीकल (HAVA) प्रोजेक्ट में भी इसका इस्तेमाल होगा। भारत की यह उपलब्धि न केवल पाकिस्तान और चीन के लिए चेतावनी है, बल्कि अमेरिका-रूस जैसे देशों को भी पीछे छोड़ने की मिसाल है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “ऐतिहासिक” करार दिया, और पीएम मोदी ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का सबूत है।

आने वाला कल: भारत का दबदबा

DRDO की प्रोजेक्ट ध्वनि के तहत तीन हाइपरसोनिक मिसाइलें तैयार हो रही हैं, जो सेना, नौसेना, और वायुसेना को ताकत देंगी। इनकी 1500 किमी से ज्यादा रेंज और मैक 6-25 की गति दुश्मन को पलक झपकते तबाह कर देगी। पाकिस्तान की शाहीन-गौरी अब इतिहास की बात हैं। भारत का स्क्रैमजेट इंजन न सिर्फ युद्ध के मैदान, बल्कि अंतरिक्ष और हवाई परिवहन में भी क्रांति लाएगा। आसमान अब भारत का है, और दुनिया यह देख रही है।

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