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एक था ‘अनुज कनौजिया’: मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर UP STF के एनकाउन्टर में हुआ ढेर!

मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर अनुज कनौजिया यूपी STF और झारखंड पुलिस की मुठभेड़ में जमशेदपुर में ढेर, गैंग को बड़ा झटका।
10:27 AM Mar 30, 2025 IST | Rohit Agrawal

अनुज कनौजिया, एक नाम जो पूर्वांचल के गलियारों में खौफ का पर्याय बन चुका था। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का यह भरोसेमंद शार्प शूटर दोनों हाथों से एक साथ पिस्टल चलाने में माहिर था। उसकी बेखौफ हत्याओं और आपराधिक साहस ने उसे माफिया की दुनिया में एक खूंखार पहचान दी। 2.5 लाख रुपये के इनामी इस अपराधी का अंत 29 मार्च 2025 को झारखंड के जमशेदपुर में हुआ, जब उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) और झारखंड पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में उसे मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस रिपोर्ट में हम अनुज कनौजिया के जीवन, उसके आपराधिक इतिहास और आतंक के साम्राज्य की कहानी को विस्तार से जानते हैं।

कौन था अनुज कनौजिया?

अनुज कनौजिया उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के बहलोलपुर गांव (चिरैयाकोट थाना क्षेत्र) का निवासी था। 50 साल की उम्र में भी उसका आतंक कम नहीं हुआ था। वह मुख्तार अंसारी का राइट हैंड माना जाता था और गैंग का एक सक्रिय शार्प शूटर था। पिछले पांच सालों से फरार अनुज पर 2.5 लाख रुपये का इनाम था, जिसे हाल ही में डीजीपी प्रशांत कुमार ने 1 लाख से बढ़ाकर ढाई लाख किया था। वह झारखंड के जमशेदपुर में छिपा हुआ था, जहां उसका अंत हुआ। मुठभेड़ में STF के डीएसपी डीके शाही भी घायल हुए, लेकिन अनुज की मौत ने मुख्तार गैंग को बड़ा झटका दिया।

अपराध की दुनिया में क्यूं रखा कदम?

अनुज कनौजिया का अपराध की दुनिया में प्रवेश एक व्यक्तिगत बदले की भावना से शुरू हुआ। उसके भाई की हत्या ने उसे इस दलदल में धकेल दिया। पहली हत्या उसने अपने भाई के हत्यारों से बदला लेने के लिए की, और फिर वह अपराध के रास्ते पर चल पड़ा। जल्द ही वह मुख्तार अंसारी के गैंग का हिस्सा बन गया। उसकी खासियत थी दोनों हाथों से एक साथ पिस्टल चलाना, जिसने उसे गैंग में अहम जगह दिलाई। हत्या, रंगदारी, जमीन हड़पने और हथियारों की तस्करी जैसे कामों में वह माहिर हो गया। उसका आतंक इस कदर था कि मऊ के बाजारों में दुकानदार अपने बोर्ड से मोबाइल नंबर तक मिटवा देते थे।

24 संगीन मामले का आपराधिक इतिहास

अनुज का आपराधिक रिकॉर्ड बेहद लंबा और खौफनाक था। उसके खिलाफ मऊ, गाजीपुर और आजमगढ़ जिलों में 24 से ज्यादा मामले दर्ज थे। मऊ में कोतवाली थाने में 6, रानी की सराय में 5, दक्षिण टोला में 2 और चिरैयाकोट में 3 मुकदमे थे। गाजीपुर के दुल्लहपुर थाने में 3 और आजमगढ़ में भी कई मामले दर्ज थे। उसने चार हत्याएं की थीं, जिनमें चिरैयाकोट बाजार में होली से पहले एक हीरो होंडा एजेंसी संचालक की दिनदहाड़े हत्या और 2009-10 में एक इंजीनियर की हत्या शामिल थी। यह इंजीनियर एक बड़े ठेके में अड़चन पैदा कर रहा था, जिसे अनुज ने गोली मारकर रास्ते से हटा दिया। 2019 में मऊ के तरंवा ऐराकला गांव में हुई हत्या में भी वह मुख्तार के साथ आरोपी था, जिसके बाद वह फरार हो गया।

मुख्तार का भरोसेमंद शार्प शूटर

मुख्तार अंसारी के सुनहरे दिनों में अनुज की ठाठ-बाट किसी माफिया से कम नहीं थी। वह गैंग में हथियारों की खरीद-फरोख्त, शूटर्स की भर्ती और ठेके पर हत्याओं की साजिश रचने का मास्टरमाइंड था। उसकी निशानेबाजी की काबिलियत ने उसे मुख्तार का खास बना दिया। 2012 में वह गोरखपुर जेल में बंद था और 2016 तक वहां रहा। बाद में मेरठ जेल भेजा गया, जहां से उसे जमानत मिली।

लेकिन 2019 के बाद वह फिर फरार हो गया और पुलिस की पकड़ से बाहर रहा। मुख्तार की मौत (28 मार्च 2024) के बाद उसका बचना मुश्किल हो गया था, और आखिरकार STF ने उसे ढेर कर दिया। मुठभेड़ में दो पिस्टल, कारतूस और मोबाइल फोन बरामद हुए।

प्रेमिका से पत्नी तक: रीना का किरदार

अनुज की निजी जिंदगी भी चर्चा में रही। गोरखपुर जेल में रहते हुए वह पेशी के दौरान आजमगढ़ के जीयनपुर में अपनी प्रेमिका रीना से मिलता था। रीना की खूबसूरती गैंग में मशहूर थी। बाद में अनुज ने उससे शादी कर ली। शादी के बाद रीना उसके अवैध धंधों को संभालने लगी। 2023 में रंगदारी के एक मामले में झारखंड के रांची से उसे गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह मऊ जेल में बंद है और उसके दो बच्चे हैं। अनुज के फरार होने के दौरान रीना उसकी आपराधिक गतिविधियों की कड़ी रही।

मकान की कुर्की से लेकर मुठभेड़ में अंत तक

सितंबर 2021 में मुख्तार गैंग के खिलाफ कार्रवाई के तहत अनुज की बहलोलपुर नवापुरा स्थित चल-अचल संपत्ति को कुर्क कर लिया गया था। तरवां थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद वह फरार था। कोर्ट के आदेश पर उसकी संपत्ति जब्त की गई और आजमगढ़ में उसका घर बुलडोजर से ढहाया गया। परिवार के कई सदस्यों को भी गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल भेजा गया। आखिरकार, 29 मार्च 2025 को जमशेदपुर में हुई मुठभेड़ ने उसके आतंक के अध्याय को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।

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