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कोरोना नए वेरिएंट के साथ लौट रहा, चार राज्यों में केस बढ़े, केंद्र और एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता!

कोविड मामलों में फिर से उछाल, चार राज्यों में बढ़ते केसों पर केंद्र की निगरानी, नया वेरिएंट बना चिंता का विषय
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Coronavirus Cases in India : भारत में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। कई राज्यों और जिलों में नए मामले सामने आ चुके हैं। सरकार नए मामलों को लेकर सतर्क हो चुकी है। भारत में कोविड के दो नए वैरिएंट के मामले देखने को मिल रहे हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड-19 के नये स्वरूप एनबी.1.8.1 का एक मामला और एलएफ.7 स्वरूप के चार मामले सामने आए हैं। यह जानकारी भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) के आंकड़े से मिली। मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एलएफ.7 और एनबी.1.8.1 उप स्वरूप को निगरानी में रखे जाने वाले स्वरूप(Coronavirus Cases in India) के रूप में वर्गीकृत करता है, न कि चिंताजनक स्वरूप के रूप में। लेकिन ये वे स्वरूप हैं जिनकी वजह से चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड के मामलों में कथित तौर पर वृद्धि हो रही है।

जानिए किस राज्य में कितने कोरोना के मामले

इंसाकॉग के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में एनबी.1.8.1 का एक मामला और मई में गुजरात में एलएफ.7 के चार मामले सामने आए। भारत में, सबसे आम स्वरूप जेएन.1 बना हुआ है। जांच किए गए नमूनों में इसके 53 प्रतिशत मामले शामिल हैं, इसके बाद बीए.2 (26 प्रतिशत) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) हैं। कई क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली में कोविड के 23 नये मामले दर्ज किए गए, आंध्र प्रदेश में पिछले 24 घंटे में चार मामले सामने आए, तेलंगाना में एक मामले की पुष्टि हुई और पिछले 20 दिनों में क्रमिक वृद्धि के बीच बेंगलुरु में नौ महीने का बच्चा जांच में संक्रमित पाया गया। उन्नीस मई तक की स्थिति के अनुसार देश में कोविड के 257 मामले थे।

सरकार हुई सतर्क

यद्यपि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO के प्रारंभिक जोखिम आकलन में एनबी.1.8.1 को वैश्विक स्तर पर कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम वाला माना गया है, लेकिन इसके स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन जैसे ए435एस, वी445एच और टी478आई अन्य स्वरूप की तुलना में अधिक संक्रामकता और प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता का संकेत देते हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) तथा अन्य प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और स्थिति की समीक्षा की।

लोगों को कितना सतर्क रहने की जरूरत?

डॉ. प्रवीण गर्ग ने कहा, अभी ये कोरोना तो एनवायरनमेंट में था और आने वाले कई सालों तक ये एनवायरनमेंट में रहने वाला है। ये एक चालक वायरस है। हर थोड़े-थोड़े समय में अपना रूप बदल के म्यूटेंट बदल कर ये फैलता रहता है। तो ये कोरोना वायरस तो अब एक जिन्दगी का हिस्सा बनता जा रहा है।

तो अभी जो ये नया वेरिएंट बन रहा है आ रहा है, उससे डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है। तो बार-बार हम ये कहते हैं की जो लो इम्युनिटी वाले हैं जैसे डायबिटीज, बीपी हार्ट, किडनी कैंसर छोटे बच्चे हैं, प्रेग्नेंट लेडी हैं इन सब ग्रुप को थोड़ा विशेष ख्याल रखना चाहिए। आपको कोई भी बुखार हो तो सेल्फ मेडिकेशन नहीं करनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह से ही ट्रीटमेंट करना चाहिए और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रखनी चाहिए। बेसिक सावधानियां और गाइडलाइन्स है, उसी से ही इस कोरोना के नए वेरिएंट से बच सकते हैं।

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