सोमवार को शेयर मार्केट खुलते ही मचा हाहाकार, एक झटके में 19 लाख करोड़ रुपए डूबे, टाटा-रिलायंस जैसे शेयर भी गिरे धड़ाम
अमेरिकी टैरिफ वार के चलते सोमवार का दिन पूरी दुनिया के शेयर मार्केट के लिए मनहूस साबित हुआ। सोमवार को सुबह शेयर बाजार खुलते ही दुनिया भर के शेयरों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। भारतीय शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स जैसे ही खुला, इसमें 3000 अंक से ज्यादा की गिरावट देखी गई, जबकि निफ्टी भी 900 अंक से अधिक लुढ़क गया। इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए टैरिफ हैं, जिनकी प्रतिक्रिया में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ा दिए। यह व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) अब और गहरा हो गया है, जिसका असर वैश्विक बाजारों पर पड़ा।
शेयर बाजार में भारी गिरावट के चलते डूबे 19 लाख करोड़
शुक्रवार को सेंसेक्स 75,364.69 अंक पर बंद हुआ था, जबकि सोमवार को यह 71,449.94 अंक पर खुला। इसमें 3914.75 अंकों की गिरावट आई। वहीं, निफ्टी 22,904 अंक पर बंद होने के बाद 1,145.6 अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 अंक पर खुला। इस भारी गिरावट ने बीएसई लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 19.4 लाख करोड़ रुपये घटाकर 383.95 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इस तरह अकेले भारत के शेयर मार्केट में ही निवेशकों के 19 लाख करोड़ रुपए डूब गए। टाटा, रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी जबरदस्त तेजी रही।
एशिया के दूसरे मार्केटों में भी शुरू हुआ मंदी का दौर
भारत के अलावा, एशियाई बाजारों में भी मंदी का दौर शुरू हो गया है। हॉन्ग कॉन्ग और चीन के शेयर बाजारों में भी बड़ी गिरावट आई। हॉन्ग कॉन्ग का हेंग सेंग इंडेक्स 10% से अधिक गिर गया, जो 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। चीन के CSI300 इंडेक्स में भी 5% की गिरावट आई और युआन की कीमत जनवरी के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। इसके अलावा, जापान का निक्केई 225 इंडेक्स भी 9% गिरा और टोक्यो में बैंक शेयरों में 17% तक की गिरावट आई। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के बाजार भी भारी दबाव में थे, जहां S&P/ASX 200 और Kospi इंडेक्स क्रमशः 6.07% और 4.34% गिर गए।
पिछले सोमवार को भी आई थी गिरावट, लेकिन इतनी नहीं
आपको बता दें कि पिछले शुक्रवार को भी शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। सेंसेक्स में 930 अंक की गिरावट आई थी और निफ्टी 345 अंक लुढ़ककर बंद हुआ था। विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका द्वारा लागू किए गए टैरिफ का वैश्विक बाजारों पर गहरा असर पड़ा और इसके परिणामस्वरूप निवेशकों में बिकवाली का माहौल बना। एक्सपर्ट्स द्वारा अभी निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
निवेशकों में छाए भय और आशंका के बादल
इस भारी गिरावट के कई कारण हैं। एक तो अमेरिकी टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार युद्ध में वृद्धि का डर, और दूसरा, अमेरिका के शेयर बाजारों में कमजोरी। US स्टॉक फ्यूचर्स भी गिर रहे हैं, जिससे निवेशकों में भय का माहौल है। इसके अलावा, कुछ बड़े घरेलू घटनाक्रम, जैसे रिजर्व बैंक की MPC मीटिंग (9 अप्रैल को), IIP और CPI के आंकड़े (11 अप्रैल को), और TCS के नतीजे (10 अप्रैल से शुरू होने वाला अर्निंग सीजन) भी बाजार पर असर डाल सकते हैं।
अब क्या हो सकता है आगे?
इस समय शेयर बाजार में गिरावट एक गंभीर स्थिति पैदा कर रही है, और निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। वैश्विक व्यापार युद्ध और अमेरिकी टैरिफ जैसे तत्वों के कारण बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, और इसका असर एशियाई बाजारों में भी स्पष्ट देखा जा सकता है। मौजूदा हालातों को देखते हुए दुनिया भर के निवेशक आगे आने वाले दिनों के लिए अभी से वैकल्पिक इंतजाम में जुट गए हैं। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही स्थितियां बदलेंगी और एक बार फिर मार्केट में स्थिरता का दौर आएगा।
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