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1 अप्रैल से लागू हो रहे इस नियम से बंद हो जाएगी ऑनलाइन रूपए ट्रांसफर में गड़बड़ी, RBI ने जारी किया सर्कुलर

पैसों के लेन-देन में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नई व्यवस्था लागू करने जा रहा है।
11:59 AM Dec 31, 2024 IST | Vyom Tiwari

RBI rules: आरबीआई ने उपभोक्ताओं को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पहले जब आप आरटीजीएस (RTGS) और एनईएफटी के जरिए पैसे ट्रांसफर करते थे, तो अकाउंट नंबर और लाभार्थी का नाम खुद से भरना पड़ता था। लेकिन अब एक अप्रैल से जैसे ही आप अकाउंट नंबर डालेंगे, वैसे ही लाभार्थी का नाम भी दिखाई देने लगेगा।

केंद्रीय बैंक ने नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से एक नई प्रणाली बनाने को कहा है, जिसमें सभी बैंकों को शामिल करने की सलाह दी गई है। दरअसल, सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने आरबीआई से कहा था कि वह जल्द ही आरटीजीएस और एनईएफटी के भुगतान तरीकों में लाभार्थी के नाम की सत्यापन प्रक्रिया लागू करें।

RBI के नए सर्कुलर के अनुसार 

रिजर्व बैंक ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि सभी बैंक जो रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के सीधे सदस्य या उप-सदस्य हैं, उन्हें 1 अप्रैल 2025 से पहले ग्राहकों को पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी का नाम सत्यापित करने की सुविधा देना शुरू कर देना चाहिए। अभी तक यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इमीडिएट पेमेंट्स सर्विस (आईएमपीएस) सिस्टम के जरिए पैसे ट्रांसफर करते वक्त लाभार्थी का नाम सत्यापित किया जा सकता है।

सर्कुलर में बताया गया है कि आरटीजीएस और एनईएफटी सिस्टम के तहत बैंक अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के जरिए यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा, जो ग्राहक शाखा में जाकर लेन-देन करते हैं, उन्हें भी यह सुविधा मिलेगी। खास बात यह है कि इस घोषणा को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 9 अक्टूबर 2024 को मौद्रिक नीति समिति की बैठक में किया था।

यह सुविधा होगी बिलकुल फ्री 

सर्कुलर में बताया गया है कि जब प्रेषक लाभार्थी का खाता नंबर और आइएफएससी कोड दर्ज करेंगे, तो कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के जरिए लाभार्थी का नाम भी दिखाई देने लगेगा। अगर किसी कारणवश लाभार्थी का नाम नहीं दिखता, तो प्रेषक को अपनी समझ के अनुसार फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति होगी। आरबीआई ने यह भी कहा कि एनपीसीआई इस सुविधा से संबंधित कोई डेटा नहीं रखेगा। यदि कोई विवाद होता है, तो वह धन प्रेषण बैंक और लाभार्थी के बैंक के बीच हल किया जाएगा। यह सुविधा ग्राहकों के लिए पूरी तरह से मुफ्त होगी।

एनईएफटीए में कोई न्यूनतम सीमा नहीं होती 

नई एनएफटी प्रणाली आधे घंटे के बैच में काम करती है, जिससे यह कुछ अन्य भुगतान विधियों की तुलना में थोड़ा कम तात्कालिक होती है। हालांकि, इसकी सादगी और आसान पहुंच के कारण इसे बहुत इस्तेमाल किया जाता है। एनईएफटी का उपयोग आमतौर पर छोटी रकम के लेन-देन के लिए किया जाता है, क्योंकि इसमें कोई न्यूनतम सीमा नहीं होती। हालांकि, बैंक के नियमों के अनुसार, ट्रांसफर की जाने वाली अधिकतम राशि पर एक सीमा होती है।

आरटीजीएस में दो लाख की न्यूनतम सीमा

आरटीजीएस एक ऐसी प्रणाली है, जो बैंक खातों के बीच पैसे का तुरंत लेन-देन करने में मदद करती है। यह एनईएफटी से अलग है, क्योंकि इसे खास तौर पर बड़े पैमाने पर किए जाने वाले लेन-देन के लिए बनाया गया है। आरटीजीएस के माध्यम से पैसे भेजने की न्यूनतम सीमा दो लाख रुपये होती है।

 

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