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अमेरिका के फैसले से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों को 5.93 लाख करोड़ का नुकसान

अमेरिका में फेड की रेट कट के फैसले के बाद भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट, निवेशकों की दौलत में 5.93 लाख करोड़ रुपये की कमी आई।
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us fed rate cut impact on indian stock market: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश, अमेरिका, के फेडरल रिजर्व के फैसले का असर अब भारतीय शेयर बाजार पर दिखने लगा है। दरअसल, अमेरिका में फेड ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है और यह लगातार तीसरी बार ऐसा हुआ है। यही कारण था कि अमेरिकी बाजार में जबरदस्त गिरावट आई, और उसके बाद भारतीय बाजार भी झूलते हुए नीचे आ गए।

अब बात करते हैं उस फैसले की जिसने शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया। फेडरल रिजर्व का कहना था कि अगले साल 2025 में केवल दो बार रेट कट हो सकते हैं, तो इसका मतलब यह हुआ कि बाजार को थोड़ी और परेशानी हो सकती है। इस फैसले ने न केवल अमेरिकी बाजारों को बल्कि भारतीय बाजारों को भी ढहा दिया।

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट

गुरुवार को भारतीय बाजारों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा टूटकर 79,000 के करीब आ गया, वहीं निफ्टी भी 321 अंक नीचे गिरकर 23,900 तक पहुंच गया। मतलब, एक दिन में भारी गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया। इससे पहले अमेरिकी बाजार में भी गिरावट थी, जो अब भारतीय बाजार में भी नजर आई।

जब अमेरिका का फेड रेट कट करता है, तो दुनिया भर के बाजारों पर इसका असर पड़ता है। और जैसे ही फेड ने यह ऐलान किया कि 2025 में केवल दो बार रेट कट हो सकते हैं, बाजार में बेचैनी बढ़ गई और बिकवाली शुरू हो गई।

बीएसई का मार्केट कैप गिरा, निवेशकों की दौलत उड़ गई

अब बात करते हैं निवेशकों के नुकसान की। गुरुवार को बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 5.93 लाख करोड़ रुपये घट गया। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही दिन में निवेशकों की संपत्ति 5.93 लाख करोड़ रुपये कम हो गई।

कल यानी बुधवार को बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप 4,52,60,266.79 करोड़ रुपये था, जो गुरुवार को घटकर 4,46,66,491.27 करोड़ रुपये रह गया। मतलब, एक दिन में निवेशकों की कुल संपत्ति में 5.93 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया।

जब सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट होती है, तो इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ वे ही प्रभावित होते हैं। कई सेक्टरों में भारी बिकवाली देखी गई, खासकर बैंकिंग, IT, रियल्टी, ऑटो और मेटल्स सेक्टरों में। हालांकि, FMCG यानी Fast Moving Consumer Goods (जैसे टॉयलेट सोप, साबुन, शैंपू आदि) के इंडेक्स में बहुत कम गिरावट आई। यानी FMCG सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में मामूली गिरावट थी, लेकिन बाकी सेक्टरों में 2 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली।

निवेशकों के लिए भारी नुकसान 

अब जो बात सबसे ज्यादा चिंता की है, वो ये है कि इस गिरावट के बाद निवेशकों की हालत खराब हो गई है। छोटे और मंझोले निवेशक तो खासकर परेशान हैं। इस गिरावट ने उनके निवेश को बुरी तरह से हिट किया है। जिन लोगों ने शेयरों में पैसा लगाया था, उनका पैसा डूबता जा रहा है।

फेड की ओर से ब्याज दर में कटौती के बावजूद 2025 में दो और रेट कट होने की बात ने मार्केट के मूड को और खराब कर दिया। इसका असर न केवल भारतीय बाजारों पर बल्कि दुनिया भर के बाजारों पर भी पड़ा।

क्या आगे भी गिरावट जारी रहेगी?

जैसा कि देखा गया है, इस गिरावट ने एक बार फिर से निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या अब और गिरावट आएगी? अगर हां, तो निवेशकों को कितना नुकसान होगा? और अगर बाजार में सुधार होता है, तो क्या वो फायदा उन्हें मिलेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होता है और अमेरिका की स्थिति बेहतर रहती है, तो बाजार में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है। लेकिन, अगर दुनिया में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, तो भारतीय बाजार में और गिरावट आ सकती है।

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