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दुनिया में सबसे ज्यादा और सबसे कम काम करने वाले देशों की लिस्ट, देखिए आपके देश का क्या है हाल!

जानिए दुनिया के उन देशों के बारे में जहां लोग सबसे ज्यादा और सबसे कम काम करते हैं। क्या आपके देश में काम के घंटे ज्यादा हैं? पढ़िए पूरी जानकारी।
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90 hour work week: आजकल भारत में एक नया विवाद गर्माया हुआ है, जिसमें इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति और लार्सन एंड टूब्रो (l&t chairman sn subrahmanyan) के चेयरमैन एमएन सुब्रह्यमण्यन का नाम आ रहा है। सुब्रह्यमण्यन (sn subrahmanyan) ने एक बयान दिया था कि वह एक हफ्ते में 90 घंटे काम (90 hour work week) करते हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके बाद काम के घंटे को लेकर बहस शुरू हो गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से करीब 100 साल पहले लोग इतना काम नहीं करते थे? और यही नहीं, उस समय लोगों की औसत उम्र भी काफी कम थी। तो चलिए, जानते हैं कि काम के घंटे समय के साथ कैसे बदलते रहे हैं।

100 साल पहले कितने घंटे काम करते थे लोग?

1914, यानी लगभग 100 साल पहले, जब दुनिया में प्रथम विश्व युद्ध (World War I) चल रहा था, उस समय लोग एक हफ्ते में औसतन 55 घंटे काम करते थे। जी हां, 55 घंटे! हालांकि, युद्ध के दौरान जब सैन्य सामान की भारी मांग थी, तो कुछ मजदूरों को हफ्ते में 72 घंटे या उससे ज्यादा काम करना पड़ता था। लेकिन ज्यादा काम करने से उनकी उत्पादकता (productivity) गिरने लगी थी, और इस कारण काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती थी।

आज के समय में कहा जाता है कि एक व्यक्ति अगर हफ्ते में 40 घंटे काम करता है, तो उसकी उत्पादकता सबसे ज्यादा होती है। इससे ज्यादा काम करने पर व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है और उसका असर देश की आर्थिक स्थिति (GDP) पर भी पड़ता है।

हेनरी फोर्ड

हेनरी फोर्ड ने शुरू किया 40 घंटे का काम

वक्त के साथ, काम के घंटे कम करने के लिए कई कदम उठाए गए। खासकर अमेरिका में, जहां फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड ने 1920 के दशक में काम के घंटे घटाने का फैसला लिया। फोर्ड ने एक दिन में 8 घंटे (सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक) काम करने का नियम लागू किया। इसके बाद, धीरे-धीरे यह 40 घंटे का कामकाजी सप्ताह दुनिया भर में आम हो गया।

हालांकि, जब 1930 के दशक में महामंदी (Great Depression) का दौर आया, तो कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से 46-50 घंटे काम कराया, लेकिन इससे उनकी उत्पादकता पर असर पड़ा। इसके बाद, कंपनियों ने फिर से काम के घंटे कम करने शुरू किए, और द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के बाद 40 घंटे का कामकाजी सप्ताह पूरी दुनिया में फैल गया।

कहां कितने घंटे काम और कितना मिलता है?

देशऔसतन साप्ताहिक काम के घंटेअनुमानित मेहनताना (डॉलर में)
भारत47.650-150
अमेरिका381100-1685
स्विट्ज़रलैंड35.41615-1980
यूरोप50.9850-1021
कनाडा32.1700-1125
चीन46.1250-279
जापान36.6500-820
पाकिस्तान44.9100-150
बांग्लादेश46.0100-130

आज के समय में काम के घंटे कितने होते हैं?

आजकल कई देशों में काम के घंटे अलग-अलग होते हैं। कुछ देशों में लोग कम काम करते हैं, जबकि कुछ देशों में काम के घंटे ज्यादा होते हैं। उदाहरण के तौर पर, डेनमार्क जैसे देशों में लोग सालभर में औसतन सिर्फ 1,380 घंटे काम करते हैं, जबकि मेक्सिको में यह आंकड़ा 2,137 घंटे है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि डेनमार्क के लोग प्रति घंटे काम के लिए 75 डॉलर कमाते हैं, जबकि मेक्सिको के लोग 20 डॉलर प्रति घंटा कमाते हैं। यानी, काम कम करने पर भी डेनमार्क के लोग ज्यादा कमा रहे हैं।

दुनिया में कहां सबसे कम काम किया जाता है?

आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ देशों में लोग बेहद कम घंटे काम करते हैं। अगर हम काम के घंटे की तुलना करें, तो कुछ देशों में लोग सप्ताह में सिर्फ 24 घंटे काम करते हैं, जबकि कुछ देशों में 50 घंटे से ज्यादा। चलिए, जानते हैं उन देशों के बारे में जहां सबसे कम काम होता है:

काम के सबसे कम घंटे (सप्ताह में)

देशसप्ताह में काम के घंटे
वनुआतू24.7 घंटे
किरीबाती27.3 घंटे
माइक्रोनेशिया30.4 घंटे
रवांडा30.4 घंटे
सोमालिया31.4 घंटे
नीदरलैंड31.6 घंटे
इराक31.7 घंटे
इथियोपिया31.9 घंटे
कनाडा32.1 घंटे
ऑस्ट्रेलिया32.3 घंटे

अब बात करते हैं उन देशों की, जहां लोग सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं:

काम के सबसे ज्यादा घंटे (सप्ताह में)

देशसप्ताह में काम के घंटे
भूटान54.4 घंटे
यूएई50.9 घंटे
लेसोथो50.4 घंटे
कांगो48.6 घंटे
कतर48.0 घंटे
लाइबेरिया47.7 घंटे
लेबनान47.6 घंटे
मंगोलिया47.3 घंटे
जॉर्डन47 घंटे
बांग्लादेश46.9 घंटे

भारत में काम के घंटे

भारत में, सरकारी नियमों के मुताबिक कंपनियां सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं करा सकतीं। फैक्ट्री एक्ट 1948 के तहत, प्रतिदिन 9 घंटे काम करने का नियम है, और इसके साथ एक घंटे का ब्रेक भी होता है। अगर कोई कंपनी ओवरटाइम करवाती है, तो कर्मचारियों को नियमित मेहनताने के मुकाबले दोगुना वेतन देना होता है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में औसतन हर सप्ताह 46.7 घंटे काम किया जाता है। 51 प्रतिशत लोग हर हफ्ते 49 या उससे ज्यादा घंटे काम करते हैं।

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