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POLITICAL SLOGAN WAR: राजनीति में नारे कर देते हैं वारे-न्यारे, भाजपा और काँग्रेस के नारों का इतिहास

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। POLITICAL SLOGAN WAR: राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव से पहले एक नारा बहुत मशहूर हुआ था, नारा था मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं (POLITICAL SLOGAN WAR) और नो सीएम आफ्टर एट पीएम। इन नारों से...
09:02 PM Mar 04, 2024 IST | Bodhayan Sharma

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। POLITICAL SLOGAN WAR: राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव से पहले एक नारा बहुत मशहूर हुआ था, नारा था मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं (POLITICAL SLOGAN WAR) और नो सीएम आफ्टर एट पीएम। इन नारों से बदलाव ये आया की भाजपा की तत्कालीन सरकार राजस्थान में हार गयी। इस नारे की पुनरावृति ने राजस्थान में काँग्रेस को इतनी मजबूत पकड़ दी कि भाजपा की मजबूत स्थिति को परिवर्तन कर काँग्रेस के पक्ष में चुनावी रिज़ल्ट आया। पर ये पहली बार नहीं हुआ, भारतीय राजनीति का इतिहास गवाह है कि नारे से सत्ता परिवर्तन का रास्ता खुल जाता है।

अबकी बार मोदी सरकार

2014 में जब राष्ट्रीय राजनीति में मोदी के नाम पर भाजपा चुनावी मैदान (POLITICAL SLOGAN WAR) में उतरी थी तब एक अखबार की हैड लाइन में एक नारा छापा गया था। वो नारा था, “अबकी बार मोदी सरकार।“ इस नारे ने राजनीति में भाजपा और मोदी के नाम की आँधी आ गयी थी। चुनाव का नतीजा सबके सामने है। इस नारे के बाद भाजपा ने हमेशा चुनाव से पहले नारों पर प्रत्यक्ष दाव लगाया और 2014 के बाद से हर बार उसका लाभ भी मिला है।

काँग्रेस ने दिये मुद्दे, भाजपा ने बनाया नारा...

राजनैतिक दलों में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला जारी रहता है। इसी दौरान कई बार ऐसी बातें कही जाती है जो दूसरी पार्टियों को नारे बनाने में मदद कर देती है। पिछले कुछ समय से भाजपा (POLITICAL SLOGAN WAR) के विपक्ष में पार्टियां जब भी मोदी या भाजपा पर कटाक्ष करने के लिए मुद्दा लाती है, तब तब भाजपा ने रचनात्मक तरीके के नारे बना कर काँग्रेस और अन्य पार्टियों को जवाब दिया है। मोदी ने कहा कि वो देश के चौकीदार है। इसके बाद काँग्रेस के राहुल गांधी ने एक जनसभा में जवाबी नारा बनाया कि चौकीदार ही चोर है। इसके बाद भाजपा ने भी इसकी जवाबी कार्यवाही में मैं भी चौकीदार का नारा दिया जिसका प्रत्यक्ष लाभ भाजपा को मिला।

नारों का है पुराना इतिहास

नारों का रिवाज भारतीय राजनीति में नया नहीं है। नारों का राजनैतिक (POLITICAL SLOGAN WAR) इतिहास खंगाला जाए तो जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी, इन्दिरा गांधी की सरकारों के समय से नारों पर हार-जीत सुनिश्चित हुई है। 1971 को इन्दिरा गांधी ने “गरीबी हटाओ” का नारा दिया, इस नारे से काँग्रेस ने इन्दिरा गांधी को केंद्र में स्थापित कर दिया। इसी सरकार के विरोध में जनता दल ने अपना राजनैतिक नारा दिया, इन्दिरा हटाओ देश बचाओ और सम्पूर्ण क्रांति। यहाँ जनता दल ने अपनी सरकार बना ली। जवाहर लाल नेहरू के नारों को कैसे भुलाया जा सकता है। जिसमें 50 के दशक में हिन्दी-चीनी भाई भाई, 60 के दशक में जय जवान जय किसान नारा सबसे महत्वपूर्ण रहा। इसी नारे को बदल कर अटल बिहारी वाजपेयी ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया और वो भी प्रभावशाली रहा।

भाजपा के दिये मशहूर नारे
काँग्रेस के नारों का इतिहास
भाजपा नारों में पड़ी भारी

काँग्रेस और भाजपा के नारों को तुलनात्मक तरीके से देखा जाए तो भारत के राजनैतिक (POLITICAL SLOGAN WAR) इतिहास के हिसाब से काँग्रेस के नारों से ज्यादा भाजपा के नारों ने काम किया है। हालांकि इस गणित में मोदी के आने के बाद राजनीति में डिजिटल मीडिया के बदोलत नारों का प्रभाव ज्यादा देखने को मिल रहा है और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ भाजपा को हमेशा मिला है। फिर वो मोदी सरकार के लिए हो, राम मंदिर के लिए हो या काँग्रेस मुक्त भारत के लिए हो।

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