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Petition Against Ram Mandir: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर हाईकोर्ट लगाएगा रोक? इलाहबाद में जनहित याचिका दर्ज

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Petition Against Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी दिनों से चर्चाएँ चल ही रही थी कि अब एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें मांग की...
05:45 PM Jan 17, 2024 IST | Bodhayan Sharma

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Petition Against Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी दिनों से चर्चाएँ चल ही रही थी कि अब एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें मांग की गयी है कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगा दी जाए।

जनहित याचिका में क्या कहा कोर्ट से?

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि, अयोध्या का राम मंदिर (Petition Against Ram Mandir) शास्त्रीय परम्पराओं की मान्यताओं के हिसाब नहीं बन रहा है और उसकी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी शास्त्रीय पद्धतियों के अनुसार नहीं हो रहा है। शंकराचार्यों के बयानों को आधार बनाते हुए इस बात को सिद्ध करने की कोशिश की गयी है। ये कार्यक्रम धार्मिक है परन्तु इसे राजनैतिक भावनाओं के निहित हो कर किया जा रहा है। इसलिए इसे तुरंत प्रभाव से रोक देना चाहिए।

याचिका का आधार कितना मज़बूत?

भोलादास नाम के एक व्यक्ति ने इस याचिका (Petition Against Ram Mandir) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर किया है। भोला दास गाजियाबाद का रहने वाला बताया गया है। भोला दस ने याचिका में मुहूर्त को आधार बताते हुए कहा है कि इस महीने में पूर्णिमा से पहले भारतीय ज्योतिष के हिसाब से धार्मिक आयोजनों की मनाही मानी जाती है। फिर पूर्णिमा से पहले प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जा सकती है। इसके अलावा मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता पर ही प्राण प्रतिष्ठा होती है। जिसका जिक्र कई बार सनातन धर्म के सर्वेसर्वा कहे जाने वाले शंकराचार्यों ने किया है। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किये बिना ही राजनैतिक लाभ लेने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है।

पीएम का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान का उल्लंघन

भोला दास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ के इस कार्यक्रम का हिस्सा होने पर भी प्रश्न उठाया है। भोलादास ने याचिका (Petition Against Ram Mandir) में लिखा है कि मोदी और योगी दोनों ही संवैधानिक पदों पर है, देश का संविधान एकता और भाईचारे में विश्वास करता है और ऐसा ही करने का सन्देश देता है। ऐसे में दोनों का प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने से इस धार्मिक एकता को ठेस पहुँचाने का काम करेगी।

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