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Masik Kalashtami 2024: फाल्गुन माह में इस दिन मनाया जाएगा कालाष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Masik Kalashtami 2024: हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Masik Kalashtami 2024)को मासिक कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी का व्रत का विशेष महत्व है। इस बार फाल्गुन माह में मासिक...
02:44 PM Feb 26, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Masik Kalashtami 2024: हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Masik Kalashtami 2024)को मासिक कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी का व्रत का विशेष महत्व है। इस बार फाल्गुन माह में मासिक कालाष्टमी का व्रत 03 मार्च 2024, रविवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव के ही दूसरा व उग्र रूप कालभैरव की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन काल भैरव की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को जीवन की समस्त समस्या से छुटकारा मिल सकता है और साथ ही शांति का वास होता है। तो आइए जानते है मासिक कालाष्टमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि :-

मासिक कालाष्टमी ​शुभ मुहूर्त :-

पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन कालाष्टमी तिथि का प्रांरभ 03 मार्च की सुबह 8 बजकर 44 मिनट से होकर अगले दिन 04 मार्च की सुबह 08 बजकर 49 पर जाकर समाप्त होगा। उदयातिथि की वजह से 03 मार्च, रविवार के दिन ही मासिक कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन निशिता मुहूर्त में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।

कालाष्टमी पूजा विधि:-

मासिक कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सभी कार्य से निवृत होकर स्नानादि कर साफा सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प करें और मंदिर को साफ कर गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। फिर एक चौकी पर काल भैरव की मूर्ति या ​फिर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करेंं। इसके बाद अक्षत,रोली,मोली,फूल,फल भगवान को अर्पित कर धूप दीप जलाएं।

 

 

इसके बाद 'ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः' 'भैरवाय नमः' मंत्रों का जाप करें। फिर कालभैरव के प्रिय चीजों का भोग लगाएं और आरती कर पूजा सम्पन्न करे। पूजा के अंत में भगवान के समक्ष क्षमा याचना करें और फिर परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें। इस बात का खास ध्यान रखें कि व्रत के दौरान सिर्फ सात्विक भोजन ही ग्र​हण करें और अगले दिन पारण के बाद कोई अन्न ग्रहण करें।

कालाष्टमी व्रत का महत्व:-

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के ही दूसरे अवतार काल भैरव की पूजा जाती है। काल भैरव भगवान शिव का रौद्र अवतार है। इसलिए काल भैरव को तंत्र मंत्र का देवता भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को सभी दुखों व परेशानियों से छुटकारा मिलता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती हैं।

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