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मैरिटल रेप पर केंद्र सरकार ने SC में कहा-'ये अपराध नहीं, समाजिक मुद्दा, कानून बनाने की जरूरत नहीं'

केंद्र सरकार ने गुरुवार को मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। सरकार ने कहा कि मैरिटल रेप कानूनी नहीं बल्कि एक सामाजिक मुद्दा है
07:31 PM Oct 03, 2024 IST | Shiwani Singh

केंद्र सरकार ने गुरुवार को मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। सरकार ने कहा कि मैरिटल रेप कानूनी नहीं बल्कि एक सामाजिक मुद्दा है।

केंद्र सरकार ने दिया ये तर्क

मैरिटल रेप मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में सरकार ने तर्क दिया कि वैवाहिक बलात्कार का मुद्दा कानूनी से अधिक सामाजिक चिंता का विषय है। इस पर कोई भी निर्णय लेने से पहले विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। सरकार ने कहा कि भारत में विवाह को पारस्परिक कर्तव्यों की एक संस्था माना जाता है, जहां वचन अविचलनीय माने जाते हैं। सरकार ने कहा कि विवाह के भीतर महिलाओं की सहमति कानूनन सुरक्षित है, लेकिन इसे नियंत्रित करने वाले दंडात्मक प्रावधान अलग हैं।

मौजूदा कानून में पहले से पर्याप्त कानूनी उपाय

केंद्र सरकार ने आगे तर्क दिया कि वैवाहिक दुर्व्यवहार के पीड़ितों के लिए मौजूदा कानूनों के तहत पहले से ही पर्याप्त कानूनी उपाय उपलब्ध हैं। इस अपवाद को रद्द करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के अपवाद 2 की वैधता पर दिल्ली हाई कोर्ट के विभाजित फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहा है। यह अपवाद पति को विवाह के भीतर बलात्कार के आरोप से छूट देता है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर विभाजित फैसला सुनाया था, जिसमें न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने इस प्रावधान को असंवैधानिक घोषित किया, जबकि न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने इसे बरकरार रखा।

कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ उसकी पत्नी के साथ यौन उत्पीड़न और उसे यौन गुलाम के रूप में रखने के आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं, जिनमें कार्यकर्ता रुथ मनोरमा भी शामिल हैं, ने तर्क दिया है कि वैवाहिक बलात्कार अपवाद महिलाओं की सहमति, शारीरिक स्वायत्तता और गरिमा का उल्लंघन करता है। उन्होंने इसे हटाने की मांग की है।

हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का कोई भी निर्णय विधायिका द्वारा किया जाना चाहिए, न कि न्यायपालिका द्वारा, क्योंकि इसके व्यापक सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं।

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