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कांग्रेस के पूर्व विधायक बंसी पहाड़िया को 2022 की इस गलती के लिए अब हुई सजा, 47 महीने के लिए जाएंगे जेल

कांग्रेस के पूर्व विधायक बंसी पहाड़िया को आदर्श चुनाव आचार संहिता और कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में 47 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। यह सजा एमपी/एमएलए कोर्ट ने सुनाई, जो पूर्व विधायक के खिलाफ...
02:19 PM Aug 24, 2024 IST | Vibhav Shukla

कांग्रेस के पूर्व विधायक बंसी पहाड़िया को आदर्श चुनाव आचार संहिता और कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में 47 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। यह सजा एमपी/एमएलए कोर्ट ने सुनाई, जो पूर्व विधायक के खिलाफ 2022 में दायर की गई शिकायतों के आधार पर थी।

खुर्जा विधानसभा से दर्ज की थी जीत

2009 में भी बंसी पहाड़िया पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ था। पहाड़िया ने 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर खुर्जा विधानसभा से जीत दर्ज की थी। हाल ही में उनके खिलाफ दायर मुकदमे की फाइल MP-MLA कोर्ट में पहुंच गई थी। कोर्ट में पेश नहीं होने के कारण उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे।

साल 2022 का मामला, अब हुई सजा

बंसी पहाड़िया को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता और कोविड-19 दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए दोषी ठहराया गया। 3 फरवरी 2022 की रात खुर्जा नगर में आयोजित एक जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान, जहां पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और RLD सुप्रीमो जयंत चौधरी भी मौजूद थे, कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई थीं।

इस कार्यक्रम में, पहाड़िया ने कोविड-19 गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए 30-40 गाड़ियों और बाइकों की रैली निकालकर कई जगहों पर भीड़ जुटाई। इस मामले की शिकायत उपनिरीक्षक प्रदीप गौतम ने खुर्जा नगर कोतवाली में दर्ज कराई, जिसमें लगभग 400-500 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

47 महीने की सजा काटेंगे

कोर्ट ने पहाड़िया को उत्तर प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, और महामारी संशोधन की धाराओं के तहत दोषी ठहराया। इसके साथ ही, उन्हें 51,000 रुपये का अर्थ दंड भी लगाया गया। वर्तमान में, बंसी पहाड़िया को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है, जहां वह 47 महीने की सजा काटेंगे।

नेताओं को भी मिल सकती है सजा

एमपी/एमएलए कोर्ट  के इस फैसले से स्पष्ट होता है कि कानून का उल्लंघन करने वाले नेताओं को सजा मिल सकती है और यह एक मजबूत संदेश है कि कानून से कोई भी ऊपर नहीं है। यह सजा नेताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें और कानून का पालन करें।

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