नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

CJI Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला... जानें क्या है चुनावी बॉन्ड योजना

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। CJI Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (CJI Electoral Bonds) गुरुवार यानी आज अपना फैसला सुनाएगा। पिछले साल नवंबर में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों...
11:12 AM Feb 15, 2024 IST | Bodhayan Sharma

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। CJI Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (CJI Electoral Bonds) गुरुवार यानी आज अपना फैसला सुनाएगा। पिछले साल नवंबर में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. की पीठ गैवी, जे.बी. न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

तर्क में सामने आया चुनाव में भ्रष्टाचार को कम करना था उद्देश्य

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट (CJI Electoral Bonds) के समक्ष तर्क दिया कि चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1) के तहत नागरिकों की सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। साथ ही, यह विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को ख़त्म कर देता है। चुनौती का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि इस योजना का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में नकदी को कम करना था।

पाँच महत्वपूर्ण विचार आए सामने

एस-जी मेहता ने जोर देकर कहा कि यहां तक ​​कि केंद्र सरकार भी चुनावी बांड (CJI Electoral Bonds) के माध्यम से किए गए दान का विवरण नहीं जान सकती है। उन्होंने एसबीआई चेयरमैन द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र रिकॉर्ड में रखा, जिसमें कहा गया था कि अदालत के आदेश के बिना विवरण तक नहीं पहुंचा जा सकता है। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच महत्वपूर्ण विचार हैं,

 

जानिए क्या है चुनावी बॉन्ड योजना?

2018 में सरकार (CJI Electoral Bonds) द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड योजना को राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को नकद दान के विकल्प के रूप में देखा गया था। केवल वही राजनीतिक दल इसे प्राप्त कर सकते हैं जो प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं और जिन्होंने पिछले लोकसभा या राज्य चुनावों में एक प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए हैं। इसके अलावा, सीजेआई ने टिप्पणी की कि यह योजना रिश्वतखोरी को वैध बनाने और सत्ता केंद्रों और उस सत्ता के शुभचिंतकों के बीच बदले की भावना नहीं बननी चाहिए।

यह भी पढ़े: FARMERS PROTEST: अब सरकार से किसानों की नाराजगी बढ़ी, आंदोलन और उग्र होने की चेतावनी, किसान – पुलिस घायल

OTT INDIA खबरों से रखेगा अपडेट

OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें।

Tags :
CJI DY chandrachudCJI Electoral Bondsconstitutional validity of electoral bondselectoral bondsSupreme CourtSupreme Court JudgementSupreme Court Newssupreme court news in hindiwhat is the electoral bond scheme

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article