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AMIT SHAH INTERVIEW ON CAA : कभी वापस नहीं लिया जाएगा सीएए कानून...Citizenship Amendment Act पर बोले अमित शाह

AMIT SHAH INTERVIEW ON CAA। दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए कानून 11 मार्च को देशभर में लागू कर दिया गया है। इस कानून का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद विपक्षी दल सीएए का विरोध कर रहे है। केंद्रीय...
09:33 AM Mar 14, 2024 IST | Juhi Jha

AMIT SHAH INTERVIEW ON CAA। दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए कानून 11 मार्च को देशभर में लागू कर दिया गया है। इस कानून का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद विपक्षी दल सीएए का विरोध कर रहे है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इस पर कभी समझौता नहीं करेगी। एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमितभाई शाह ने कहा, 'हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु अधिकार है, हम इस पर कभी समझौता नहीं करेंगे और सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा।''

कानून को रद्द करना असंभव - अमित शाह

विपक्षी भारत ब्लॉक, विशेषकर कांग्रेस नेता के बारे में पूछे जाने पर, जिन्होंने कहा कि वे सत्ता में आने पर कानून को रद्द कर देंगे, गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष भी जानता है कि उसके सत्ता में आने की संभावना कम है। अमित भाई शाह ने कहा- ' यहां तक ​​कि भारतीय गठबंधन भी जानता है कि वह सत्ता में नहीं आएगा। सीएए भाजपा सरकार द्वारा लाया गया है। इसे रद्द करना असंभव है। हम पूरे देश में इसके बारे में जागरुकता फैलाएंगे। ताकि जो लोग इसे रद्द कराना चाहें उन्हें जगह न मिले।'

सीएए का कोई भी प्रावधान संविधान के खिलाफ नहीं - अमित शाह

अमित शाह ने अपने इंटरव्यू में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का कोई भी प्रावधान संविधान के खिलाफ नहीं है ना ही संविधान का उल्लंघन करता है। संचिधान के अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता से संबंधित नियम बनाने की ताकत देता है।

अमित शाह का विपक्ष को जवाब

सीएए की जरूरत क्या थी और लोकसभा चुनाव से पहले नोटिफिकेशन लाने के विपक्ष के सवालों पर अमित शाह ने कहा कि सबसे पहले मैं समय की बात करता हूं। सारे विपक्षी दल राहुल गांधी, ममता या केजरीवाल सहित सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे है। तो यह समय का सवाल तो नहीं है। बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में कहा है कि हम सीएए लेकर आएंगे और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देंगे। बीजेपी का साफ एजेंडा है ​और उस वादे के तहत नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। कोविड की वजह से इसमें देरी हुई।

यहां राजनीतिक लाभ का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि भाजपा का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार और न्याय प्रदान करना है। विपक्ष द्वारा तो ​आर्टिकल 370 को निरस्त करने और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी कई सवाल उठाए थे और इस बात को राजनीतिक लाभ से जोड़ा था।। तो क्या हमें आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? हम 1950 से कह रहे हैं कि हम धारा 370 वापस लेंगे।

 

CAA का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकता प्रदान करना - अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि मैंने अलग-अलग मंचों पर कम से कम 41 बार सीएए पर बात की है और इस बारे में विस्तार से बताया है कि देश के अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें किसी भी नागरिक के अधिकार वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। सीएए का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। गैर-मुस्लिम प्रवासी जिसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई इसमे शा​मिल हैं । जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे और इस अधिनियम द्वारा सताए गए हैं, और इस अधिनियम द्वारा उनकी पीड़ाएं दूर हो जाती हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को मुस्लिम विरोधी बताने के लिए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे विपक्षी नेताओं की आलोचना की। उन्हेांने कहा कि आप इस कानून को अलग करके नहीं देख सकते। 15 अगस्त 1947 को हमारे देश का विभाजन हुआ। हमारा देश तीन भागों में बँटा हुआ था। यह पृष्ठभूमि है। भाजपा और भारतीय जनसंघ इस बंटवारे के हमेशा खिलाफ थे। हम कभी नहीं चाहते थे कि देश का बंटवारा हो। इस वजह से जब देश को धर्म के आधार पर विभाजित किया गया, तो अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और उनका धर्म परिवर्तन किया गया, अल्पसंख्यक महिलाओं पर अत्याचार किया गया और वह भारत आ गईं। वह हमारी शरण में आए, क्या उन्हें नागरिकता का अधिकार नहीं है।

सबकी मदद करेगी सरकार - अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि जिन लोगों पर अत्याचार हुआ है उनके अधिकार सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है। जो लोग भारत का हिस्सा थे और जिन पर अत्याचार किया गया या जिन्हें प्रताड़ित किया गया। उन्हें भारत में शरण देनी चाहिए। यही हमारी जिम्मेदारी है। इन आंकड़ों पर गौर करें तो जब बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान में 23 लोग थे। लेकिन अब सिर्फ 3.7 प्रतिशत हिंदू और सिख बचे हैं। वे कहां हैं वे यहां नहीं लौटे हैं। उनका उनका धर्मांतरण किया गया और उन पर अत्याचार और अपमानित किया गया।

वे कहाँ जाएंगे? देश नहीं सोचेगा, संसद उनके बारे में नहीं सोचेगी और राजनीतिक दलों को उनके बारे में नहीं सोचना चाहिए? अफगानिस्तान में अब केवल 500 हिंदू हैं। क्या उन लोगों को आस्था के अनुसार जीवन जीने का ​अधिकार नहीं है। जब भारत एकजुट था तब वे हमारे भाई थे। दिल्ली के सीएम केजरीवाल की टिप्पणी 'सीएए भारत के युवाओं की नौकरियां छीन लेगा और अपराध बढ़ा देगा' पर अमित शाह ने आलोचना करते हुए कहा कि जिन लोगों को इस कानून से फायदा होगा वे पहले से ही भारत में हैं। अगर वे इतने चिंतित हैं तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं के बारे में बात क्यों नहीं करते क्योंकि वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।

अमित शाह का ममता सरकार को दो टूक जवाब

अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं ममता जी से अनुरोध करता हूं कि राजनीति करने के लिए कई मंच हैं, लेकिन कृपया बांग्लादेश से आने वाले बंगाली हिंदुओं को चोट न पहुंचाएं। मैं सार्वजनिक रूप से ममता को ऐसी धारा बताने की चुनौती देता हूं जिसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का प्रावधान हो। उनका इरादा वोट बैंक मजबूत करने के लिए हिंदू-मुसलमानों के बीच फूट पैदा करने का है। सीएए पर ममता सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही हैं।

राज्य अगर सीएए लागू नहीं करेंगे तब क्या करेगी केंद्र सरकार?

इस मामले पर अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सीएए कानून का सिर्फ चुनाव तक विरोध किया जा रहा है। इसके बाद सारे राज्य सीएए का सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों के पास सीएए कानून लागू होने से रोकने का ​कोई अधिकार नहीं है। इस प्रक्रिया से जुड़े कार्य को सिर्फ भारत सरकार से जुड़े अधिकारी ही पूरा कर सकते है। बता दें कि सीएए कानून पर विपक्ष लगातार हमला कर रहे है। यहां तक तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा दावा किया गया है कि वह अपने राज्य में सीएए कानून लागू नहीं होने देंगे।

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